श्रीरेणुका में 5 बड़े चैलेंज

ददाहू, श्रीरेणुकाजी— विधानसभा चुनाव की परीक्षा देने के बाद भले ही रेणुकाजी विधानसभा क्षेत्र के तीनों उम्मीदवार परिणामों के इंतजार में गणित बैठा रहे हों, मगर चुनाव जीतने के बाद रेणुकाजी विधानसभा क्षेत्र में लंबित पड़े विकास कार्य भी जीतने वाले उम्मीदवार के लिए चुनौती होंगे। रेणुकाजी विधानसभा क्षेत्र में बात चाहे केंद्र बिंदु स्थल ददाहू में बीडीओ कार्यालय खोलने की मांग हो या घोषणा के बाद भी बस स्टैंड ददाहू निर्माण न होना आगामी गठित सरकार तथा रेणुकाजी के नुमाइंदे के समक्ष यह मुद्दे मुंह बाए खड़े होंगे। रेणुकाजी में यूं तो गत सरकार ने भी अभूतपूर्व विकास करने के दावे के साथ चुनाव लड़ने की बात कही है, मगर जिला सिरमौर के रेणुकाजी विधानसभा क्षेत्र में अभी भी विकास की लो नहीं जल पाई है। किसान-बागबान आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। पांच विधानसभा क्षेत्र में विभाजित रेणुकाजी विस क्षेत्र में धारटीधार में आईटीआई की मांग के साथ यहां बैंक शाखा खोलने की योजना अधर में पड़ी है जो कि पिछले पांच वर्ष में पूरी नहीं हुई है, जबकि सैनधार के क्षेत्र में भी आईटीआई की मांग प्रमुखता से उठी है। रेणुकाजी क्षेत्र के गिरिपार क्षेत्र में आज भी सड़कों की दशाएं दयनीय हैं, जिसके चलते पर्यटन की दृष्टि से क्षेत्र उभर नहीं पाया है, जितने वाले नुमाइंदे यदि जीत के जश्न की जगह यहां के विकास को फोकस कर अपनी योजनाओं को अमलीजामा पहनाते हैं ,तो यह लोकतंत्र में सबसे बड़ी सकारात्मक पहल होगी। रेणुकाजी क्षेत्र में रोजगार सृजन की सबसे बड़ी समस्या मुंहबाय खड़ी है। आज भी यहां का नौजवान औने-पौने दाम पर मजदूरी करने को विवश हैं। क्षेत्र में उद्योग कारखाने में रोजगार की संभावनाएं विकसित नहीं हो पाई है। लिहाजा शिमला और चंडीगढ़ इत्यादि में युवा मजदूरी करने जाता है। किसान-बागबानों की फसलें बंदरों और जंगली जानवरों के हवाले हैं, जिस पर नुमाइंदे भी किसान-बागबान को अब तक संतुष्ट नहीं कर पाए हैं। भाग्य रेखाएं कही जाने वाली सड़कों को भले ही रेणुकाजी में जाल बिछाने के दावे किए जाते हैं, मगर सड़कों की वास्तविकता क्या है यह सभी जानते हैं। रेणुकाजी विधानसभा क्षेत्र में भले ही हार-जीत नाक का प्रश्न नुमाइंदों के लिए बनती हो, मगर जीतने के बाद क्षेत्र के लिए क्या विजन होगा यह भी मकसद पूरा होना चाहिए। लोगों का कहना है कि प्रतिनिधि चुनावों के दौरान जरूर गांव घरद्वार दिखते हैं, मगर जीत के बाद उन्हें अपना मद नशा ही रहता है ,जिसमें किए गए वादे भी हवा हो जाते हैं।