सियासी पालने में दस साल से झूल रहा केंद्रीय विश्वविद्यालय

शिमला – हिमाचल में केंद्रीय विश्वविद्यालय राजनीतिक दलों के लिए ऐसा प्रतिष्ठा का सवाल बनने लगा है कि यह बड़ा प्रोजेक्ट धरातल पर भी नहीं उतर पा रहा।  नतीजतन पिछले 10 वर्षों से यह मामला लटका पड़ा है। कैंपस विवाद के चलते केंद्र सरकार भी इस पर सटीक फैसला लेने में विफल रही है। इस बड़े प्रोजेक्ट का सियासत के चलते शिलान्यास तक नहीं हो पाया। हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनावों के दौरान भी केंद्रीय विश्वविद्यालय का मुद्दा गरमाता रहा। भाजपा व कांग्रेस के बीच सेंट्रल यूनिवर्सिटी की स्थापन को लेकर पिछले 10 वर्षों से भी ज्यादा अवधि से सदन के अंदर व बाहर गरमाहट देखने को मिल रही है। भाजपा के कुछ नेता चाहते हैं कि सेंट्रल यूनिवर्सिटी का मुख्य कैंपस देहरा में स्थापित हो, जबकि कांगड़ा से जुड़े भाजपा के ही कई नेता इस पर मौन साधे बैठे हैं। भाजपा के वरिष्ठ नेता शांता कुमार की भी इस बारे में कोई बड़ी प्रतिक्रिया देखने को नहीं मिलती है। राज्य सरकार द्वारा सेंट्रल यूनिवर्सिटी का मुख्य केंपस जदरांगल धर्मशाला में स्थापित करने को लेकर विस्तृत रिपोर्ट कुछ अरसा पहले ही केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय को सौंपी गई थी। उसके बाद फोरेस्ट क्लीयरेंस के लिए प्रयास शुरू किए गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब हिमाचल दौरे पर आए थे तो उस दौरान भी यह प्रयास था कि सेंट्रल यूनिवर्सिटी का शिलान्यास करवा लिया जाए, मगर बात आगे नहीं बढ़ सकी। क्योंकि इसे फोरेस्ट क्लीयरेंस नहीं मिली थी। अब जबकि धर्मशाला को प्रदेश की दूसरी राजधानी घोषित किया जा चुका है। ऐसे में सेंट्रल यूनिवर्सिटी जैसा बड़ा मुद्दा कितने समय में हल होगा, यह देखने वाली बात होगी। हालांकि कांगड़ा के अधिकांश नेताओं का यह दावा रहता है कि धर्मशाला के लिए मंत्रालय भी सहमत है। सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऐसे स्थल पर ही स्थापित की जा सकती है, जहां बुनियादी सुविधाओं के साथ-साथ रहने की उच्च स्तरीय सुविधाएं मौजूद हों और साथ ही एयर कनेक्टिविटी भी हो। धर्मशाला में ऐसी तमाम सुविधाएं व स्तरीय होटल हैं, लिहाजा कैंपस यहीं स्थापित होना चाहिए। जानकारों की राय में यदि देहरा में भी इससे जुड़े बड़े कालेज स्थापित करने की बात मान ली जाए तो यह लटका हुआ मुद्दा स्थायी तौर पर सिरे चढ़ सकता है। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह कह चुके हैं कि केंद्रीय विवि के मामले में देरी हिमाचल सरकार के कारण नहीं, बल्कि केंद्र सरकार के कारण होती रही है। प्रदेश सरकार ने केंद्रीय विवि के लिए भूमि के हस्तांतरण का मामला केंद्र को काफी पहले भेज दिया था।

नींव तक नहीं

केंद्रीय विश्वविद्यायल पर हिमाचल में पिछले दस साल से सियासत हो रही है। यानी कि राजनीतिक वोट बैंक की खातिर इतने महत्त्वपर्णू संस्थान को स्थायी परिसर नहीं दे सके हैं। यही वजह है कि आज तक संस्थान की नींव तक नहीं रखी जा सकी है।

देहरा-धर्मशला पर हो रही राजनीति

भाजपा इसे देहरा में स्थापित करने की रट लगाए बैठी है, जबकि कांग्रेस धर्मशाला के जदरांगल में। इसके पीछे विधानसभा के अंदर व बाहर जुबानी जंग चलती रही है। शहरी विकास मंत्री सुधीर शर्मा का यह दावा है कि धर्मशाला में ही इसे स्थापित करने की रजामंदी बनी है। केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय भी धर्मशाला के लिए ही राजी है। सेंट्रल यूनिवर्सिटी को लेकर पूर्व आईपीएच मंत्री व भाजपा के नेता रविंद्र रवि इसे देहरा में स्थापित करने के लिए बड़े आंदोलन तक करने की धमकी देते रहे हैं। इसी जंग में यह स्थापित नहीं हो पा रही।