हफ्ते में उखड़ी करोड़ों की टायरिंग

परवाणू-शिमला राष्ट्रीय उच्च मार्ग पर काम के बाद खुली गुणवत्ता की पोल, प्राधिकरण ने जारी किए जांच के आदेश

सोलन  – परवाणू-शिमला राष्ट्रीय उच्च मार्ग पर की जा रही करोड़ों रुपए की टायरिंग मात्र एक सप्ताह में ही उखड़ गई है। राष्ट्रीय उच्च मार्ग प्राधिकरण बोर्ड ने इस कार्य का ठेका एक निजी कंपनी को 5.34 करोड़ रुपए में दिया है। बोर्ड ने इस मामले में जांच के आदेश जारी किए हैं तथा संबंधित कंपनी को तुरंत फिर से टायरिंग किए जाने के लिए भी कहा है। टायरिंग के लिए इस्तेमाल की जा रही घटिया सामग्री ने कार्य की गुणवत्ता पर भी सवालिया निशान लगा दिए हैं। जानकारी के अनुसार केंद्रीय लोक निर्माण विभाग से चंबाघाट से शिमला तक राष्ट्रीय उच्च मार्ग को एनएचएआई के हवाले कर दिया था। इसके बाद इस मार्ग के रखरखाव का जिम्मा एनएचएआई के पास ही है। चंबाघाट से कैथलीघाट तक राष्ट्रीय उच्च मार्ग की हालत बेहद खस्ता है। सड़क में गड्ढे पड़ने की वजह से पर्यटन व्यवसाय सबसे अधिक प्रभावित हो रहा है। हिमाचल में पर्यटन सीजन शुरू होने वाला है। ऐसे में पर्यटकों की संख्या बढ़ने से पहले राष्ट्रीय उच्च मार्ग की टायरिंग का काम शुरू कर दिया गया है। राष्ट्रीय उच्च मार्ग प्राधिकरण बोर्ड ने चंबाघाट से कैथलीघाट तक टायरिंग व पैच वर्क का ठेका एक निजी कंपनी को 5.34 करोड़ रुपए में दिया है। कंपनी द्वारा बीते एक सप्ताह से चंबाघाट तथा ब्रूरी के आसपास टायरिंग व पैच वर्क का कार्य किया जा रहा है। एक सप्ताह में मात्र 500 मीटर सड़क का कार्य ही पूरा हो पाया है।मात्र एक सप्ताह में टायरिंग उखड़नी शुरू हो चुकी है।  इससे टायरिंग कर रही कंपनी के अधिकारियों व कर्मचारियों में हड़कंप मच गया। ठेकेदार को निर्देश जारी किए गए हैं कि तुरंत फिर से टायरिंग की जाए। उधर, राष्ट्रीय उच्च मार्ग प्राधिकरण बोर्ड के प्रोजेक्ट डायरेक्टर एसएम स्वामी का कहना है कि टायरिंग उखड़ने का मामला संज्ञान में आया है और बोर्ड अवश्यक कार्रवाई कर रहा है।

दो साल… फिर भी काम अधूरा

परवाणू से सोलन तक फोरलेन का काम गत दो वर्षों से प्रगति पर है। अभी आधा काम भी पूरा नहीं हो पाया है। सड़क की हालत इतनी अधिक खस्ता है कि 30 किलोमीटर का सफर तय करने में दो घंटे का समय लग जाता है। इस सबकी वजह से प्रदेश में पर्यटन व्यवसाय काफी अधिक प्रभावित हो रहा है।

फिर पड़ गए गड्ढे

अधिकतर स्थानों में फिर से पहले की तरह गड्ढे पड़ चुके हैं। जब मामले की सूचना  एनएचएआई के उच्च अधिकारियों को पता चली, तो तुरंत उन्होंने मौके का निरीक्षण करने के लिए टीम शिमला से सोलन भेजी। निरीक्षण के दौरान पाया गया कि पैच वर्क व टायरिंग का कार्य सही तरीके से नहीं हुआ है, जिसकी वजह से यह उखड़नी शुरू हो चुकी है।