200 सुधारों से टॉप-50 पर नजर

विश्व बैंक की कारोबारी सुगमता रैंकिंग के लिए मोदी सरकार का नया टारगेट

मुंबई— कारोबार करने के लिहाज से आसान देशों की सूची में भारत के 30 पायदान की छलांग लगाने के बाद मोदी सरकार अब टॉप-50 की तैयारियों में जुट गई है। मंगलवार को वर्ल्ड बैंक की ओर से जारी ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की रैंकिंग में भारत को 100वां स्थान मिला है, पिछले साल भारत 130वें नंबर पर था। डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्ट्रियल पॉलिसी एंड प्रोमोशन (डीआईपीपी) के सचिव रमेश अभिषेक ने कहा कि सरकार ने 200 ऐसे सुधार चिह्नित किए हैं, जिनके जरिए भारत वर्ल्ड बैंक की टॉप-50 की लिस्ट में शामिल हो सकता है। कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्रीज के एक कार्यक्रम से रमेश अभिषेक ने पत्रकारों से कहा कि हमने इस साल पहले ही 122 सुधारों को लागू कर दिया है। इन्हें पहचान दिलाने के लिए हम वर्ल्ड बैंक के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। इस साल ईज ऑफ डूइंग बिजनस के लिहाज से हम करीब 90 सुधारों को और लागू करेंगे। बता दें कि दिवालियापन कानून, लाइसेंसिंग, टैक्सेशन में सुधार और निवेशकों को प्रोटेक्शन जैसे कदम उठाने के चलते भारत की रैंकिंग में 30 पायदान का जोरदार उछाल हुआ है। भारत बेहतर करने वाले टॉप 10 देशों में शामिल है। वर्ल्ड बैंक की रैंकिंग में 30 पायदान का उछाल बेहद शानदार है। अब हमारा लक्ष्य टॉप-50 देशों में शामिल होने का है। उन्होंने कहा कि हमारे विभाग ने संबंधित पक्षों के साथ मीटिंग्स चालू कर दी हैं और संबंधित पक्षों से राय ली जा रही है, ताकि निवेश के माहौल को सुधारने के लिए कदम उठाए जा सकें। श्री अभिषेक ने कहा कि इन प्रयासों के चलते हमें खासी मदद मिली है। अब हम संबंधित पक्षों से उठाए गए कदमों को लेकर फीडबैक लेने का काम कर रहे हैं। सभी नोडल मंत्रालयों से उनकी राय ली जाएगी।  डीआईपीपी के सचिव ने कहा कि वर्ल्ड बैंक ने जीएसटी को भी प्रभाशाली सुधारों में शुमार किया है। उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि अगले साल की रैंकिंग में जीएसटी का बड़ा असर देखने को मिलेगा।

30 स्थान की लगाई थी छलांग

वाशिंगटन — भारत ने विश्व बैंक की कारोबार सुगमता रैंकिंग मंगलवार को 30 पायदान सुधरकर 100वें स्थान पर पहुंच गई। इससे उत्साहित सरकार ने सुधारों को आगे बढ़ाने का संकल्प दोहराया, जिससे देश आने वाले वर्ष में कारोबार सुगमता के मामले में शीर्ष 50 देशों में शामिल हो सकता है। नरेंद्र मोदी सरकार के 2014 में सत्ता में आने के समय भारत की रैंकिंग 142 थी। पिछले साल यह 130 थी।