आंगनबाड़ी केंद्रों में वेट मशीन खराब

भोरंज — बच्चों में पोषण का जिम्मा संभालने वाले आंगनबाड़ी केंद्रों पर वजन तोलने वाली मशीनें तक उपलब्ध नहीं हैं, और यदि हैं, तो खराब हैं। जहां बिना वजन तोले बच्चों में कुपोषण की पहचान करना संभव नहीं है। विभाग के आला अधिकारी सब कुछ जानते हुए भी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। मशीन के अभाव में केंद्रों पर आने वाली गर्भवती धात्री महिला का भी वजन नहीं हो पा रहा है, जबकि वजन के हिसाब से ही आंगनबाड़ी कार्यकर्ता कमजोर बच्चे व संबंधित महिला की स्थिति का पता लगाती है। इसके बाद जरूरत पड़ने पर उसे उचित परामर्श व उपचार के लिए अस्पताल जाने की सलाह देती है। उपमंडल भोरंज में सर्किल 11 में भरेड़ी, पट्टा, चंदरूही, भोरंज, धमरोल, जमली, जाहू, लदरौर, ताल, अग्घार, इत्यादि हैं, जिनमें 233 आंगनबाड़ी और एक मिनी आंगनबाड़ी केंद्र है। इन केंद्रों में से 90 फीसदी आंगनबाड़ी केंद्रों पर वेट मशीनें खराब पड़ी हैं, जिनकी सुध न तो विभाग के अधिकारी ले रहे हैं और न ही महिला कार्मिक इन्हें सुधरवाने का मादा रखती हैं। हालात ये हैं कि केंद्रों पर मशीनें जंग खा रही हैं, लेकिन इन्हें बदला नहीं जा रहा है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का कहना है कि मशीन ठीक कराने के लिए वह कई बार महिला पर्यवेक्षक व अपने सीडीपीओ को शिकायत कर चुकी हैं, लेकिन कहीं सुनवाई नहीं हो रही हैं। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व महिला कार्मिक का कहना है कि ऐसे में वह स्वयं ही जहां मशीन ठीक हो वहां से मंगवाकर बच्चों का वजन करवा रही हैं। इन्होंने अपनी जेब से रुपए खर्च कर वेट मशीन खरीद रखी हैं, ताकि केंद्र पर आने वाले बच्चों के वजन का सही तोल हो सके। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के अनुसार बहुत समय पहले विभाग की ओर से उन्हें वजन तोलने की मशीनें उपलब्ध कराकर दी गई थीं, जो घटिया क्वालिटी की थीं और इनमें कई मशीनें खराब थीं, जिन्हें अभी तक नहीं बदला गया है। इस संदर्भ में वीना कश्यप महिला एवं बाल विकास विभाग अधिकारी ने बताया कि वेट मशीन खराब होने की लिखित शिकायत उनके पास नहीं आई है, लेकिन फिर भी इतनी वेट मशीन खराब पड़ी होना गंभीर विषय है। मामले को प्रमुखता से लिया जाएगा और शीघ्र ही समस्या का हल निकाला जाएगा।