एक रोटी बनी सूरज की मौत

शिमला – कोटखाई प्रकरण में एसआईटी द्वारा पकड़े गए पांच लोगों ने नार्को टेस्ट में अहम खुलासे किए हैं। इन्हीं पांचों को एसआईटी असल गुनाहगार बताकर प्रेस कान्फ्रेंस भी कर चुकी थी। पुख्ता सूत्रों के मुताबिक राजेंद्र उर्फ राजू पिकअप के ड्राइवर ने नार्को टेस्ट में खुलासा किया है कि उसे सुभाष व सूरज को कोटखाई थाने में एक ही लॉकअप में इकट्ठे बंद किया था। एक दिन सूरज ने पुलिस से रात के वक्त एक और रोटी मांगी। इस पर पुलिस इतनी गुस्सा गई कि सूरज को ऊपर सीढि़यां चढ़ाकर उसका इतना रिमांड लिया कि उसके बाद उन दोनों यानी राजेंद्र व सुभाष को सूरज नहीं दिखा। अब तक मुकम्मल की गई जांच में यह कहा गया है कि सूरज की मौत के बाद एसआईटी के मुखिया रहे जहूर एच. जैदी व शिमला के तत्कालीन एसपी डीडब्ल्यूडी नेगी सूरज की लाश का जल्द अंतिम संस्कार करना चाहते थे। इसी वजह से जल्द से जल्द लाश परिजनों को सौंपने की कार्रवाई भी चल रही थी, मगर इसमें वे सफल नहीं हो सके। मकसद यही था कि सबूत नष्ट कर दिए जाते और कस्टोडियल डेथ व आपराधिक षड्यंत्र रचने के आरोपों से पुलिस बच जाती। यह भी बताया गया है कि छुट्टी पर जाने से पहले आईजी जैदी एसआईटी के अन्य सदस्यों को जल्द गुनाह कबूल करवाने के निर्देश दे गए थे। सूत्रों का दावा है कि गुनाह कबूल करवाने के दौरान वीडियो रिकार्डिंग तो की गई, मगर उसे ऑन रिकार्ड नहीं रखा गया। सूरज की मौत के बाद जनरल ड्यूटी दिखा डीएसपी मनोज जोशी जल्दबाजी में थाने से चले गए और उन्होंने यह भी सुनिश्चित करवाया कि वह थाने से उस दौरान चले गए थे। जाते-जाते उन्होंने कांस्टेबल को निर्देश भी दिए कि वे अपना मुंह बंद रखे। सूरज की मौत को राजेंद्र व सूरज के बीच का मामला दिखाकर रफा-दफा कर दिया जाएगा, जिसके बाद एसएचओ दीप चंद, एएसआई रफी मोहम्मद, हैड कांस्टेबल मोहन लाल, सूरत सिंह, रंजीत स्टेटा सूरज के शव को लेकर कोटखाई सीएचसी गए, जहां उसे पहले ही मृत घोषित किया गया।

कांस्टेबल दिनेश ने दिखाया साहस

कांस्टेबल दिनेश इस मामले में ईमानदार व सबसे साहसी साबित हुआ। उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों के दबाव के बावजूद असलियत नहीं छिपाई। उसने ही सूरज की असल मौत के कारण बताए। दिनेश की स्टेटमेंट जहूर एच. जैदी ने अपने मोबाइल में रिकार्ड की, मगर उसे डीजीपी को नहीं पेश किया। इसके उल्ट मनघड़ंत स्टोरी बताई, जिसमें कहा गया कि सूरज की मौत राजेंद्र के साथ लड़ाई में हुई है।

सच बोल रही थी सूरज की पत्नी, राजू की मां

मामले में मीडिया के सामने मृतक सूरज की पत्नी और ड्राइवर राजेंद्र उर्फ राजू की मां रो-रो कर दुहाई दे रही थी कि सूरज बेगुनाह था। राजू ने कभी किसी से लड़ाई तक नहीं की, मगर लगता है कि एसआईटी के सिर पर तो जैसे जुनून सवार था कि गुनाह गरीबों से ही कबूल करवाना है।

84 गवाह 42 फोन 01 हार्ड डिस्क

सीबीआई ने सबूतों की हैदराबाद-गुजरात सीएफएल से करवाई जांच

शिमला – कोटखाई मामले में सीबीआई ने हवा में तीर नहीं चलाए हैं। कुल 600 पन्नों की जो चार्जशीट तैयार की गई है, उसमें मेहनत भी खूब लगी है। सूत्रों के मुताबिक इस पूरी कार्रवाई के दौरान जांच एजेंसी द्वारा 42 मोबाइल फोन जब्त किए गए हैं। इसके अतिरिक्त एक कम्प्यूटर हार्ड डिस्क, एक पीले रंग का लिफाफा, जिसमें डीवीडी व कुछ अन्य साजो-सामान जब्त किए हैं। इन सभी की वैज्ञानिक आधार पर जांच गुजरात व हैदराबाद की लैब से करवाई गई है। इस पूरे प्रकरण में 84 के लगभग गवाह बनाए गए हैं, जिनमें एसआईटी द्वारा सबसे पहले गिरफ्तार किए गए पांच आरोपियों के परिजन भी शामिल हैं। सूरज की पत्नी को भी बतौर गवाह पेश किया गया है। यही नहीं, एसआईटी द्वारा गिरफ्तार किए गए आशीष चौहान को भी गवाह बनाया गया है, जो बड़ी शख्सियतें इसमें शामिल हैं, उनमें आईजीएमसी के डा. पीयूष कपिला भी हैं। प्रदेश पुलिस के डीजीपी के साथ एडीजीपी लॉ एंड ऑर्डर भी बतौर गवाह लिए गए हैं। सबसे पहले जिन युवाओं की फोटो वायरल हुई थी, जिन्होंने इस पर ऐतराज भी जताया था, उनमें इशान चौहान, प्रशांत नेगी भी शामिल हैं। अन्य गवाहों में वे अधिकारी व वैज्ञानिक भी शामिल हैं, जहां देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी ने नार्को व डीएनए टेस्ट करवाए हैं। सीबीआई ने इस पूरी जांच में पीटरहॉफ में डेरा डाल रखा है। वहां भी बतौर गवाह अधिकारियों व कर्मचारियों को शामिल किया गया है। इसके अलावा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कोटखाई, ठियोग अस्पताल के साथ-साथ अन्य डाक्टरों को भी बतौर गवाह शामिल किया गया है।

प्रशांत-ईशान को तीन दिन तक थाने में रखा

जांच के दौरान सामने आया है कि पुलिस की एसआईटी ने सबसे पहले पकड़े गए ईशान चौहान, प्रशांत नेगी उर्फ हैप्पी को गैरकानूनी तरीके से तीन दिन तक गुनाह कबूल करवाने के लिए थाना कोटखाई में बंद रखा। यह वाकया 11 से 13 जुलाई तक का है।