ओबीसी की अनदेखी पड़ेगी महंगी

By: Dec 29th, 2017 12:20 am

मंत्रिमंडल में रमेश धवाला को जगह न मिलने पर भड़के भाजपा कार्यकर्ता-ओबीसी नेता, विधायक के घर पहुंचे सैकड़ों समर्थक

ज्वालामुखी— वर्ष 1998 में अपने वोट से कांग्रेस से समर्थन वापस लेकर भाजपा की सरकार बनाने वाले सियासी संकट मोचन हनुमान बने रमेश धवाला की मंत्रिमंडल में अनदेखी से ज्वालामुखी मंडल भाजपा, विशेषकर ओबीसी वर्ग में भारी रोष है। गुरुवार को रमेश धवाला के घर पर सैकड़ों लोग इकट्ठे हुए, जिसमें ज्वालामुखी के ही नहीं, जसवां परागपुर, देहरा, कांगड़ा, नादौन, नगरोटा व अन्य कई क्षेत्रों से आए ओबीसी नेता थे, जो लोकप्रिय नेता रमेश धवाला के साथ हुए विश्वासघात से बुरी तरह से आहत थे और आंसू बहाकर ब्यान कर रहे थे कि मंत्रिमंडल की आड़ में ईमानदारी को किस कद्र सरेआम सूली पर चढ़ा दिया गया। धवाला समर्थकों का कहना है कि करोड़ों रुपए के प्रलोभन को ठोकर मार कर कांग्रेस से समर्थन वापस लेकर वोट से 1998 में भाजपा की सरकार बनाकर प्रो. प्रेम कुमार धूमल को मुख्यमंत्री बनाने वाले रमेश धवाला व ज्वालामुखी के 72 हजार मतदाताओं के साथ घोर अन्याय हुआ है। लोग ज्वालामुखी से शिमला निजी वाहनों में लोकप्रिय नेता को मंत्री पद की शपथ लेते हुए देखने के लिए गए थे, परंतु उनके हाथ निराशा लगी। उन्होंने दोटूक कहा कि इसका परिणाम लोकसभा चुनावों में भाजपा को भुगतना पड़ेगा। नेता विमल, जयचंद, विजय, रूप चंद, दीपक खौला, अनु कौंडल, प्रताप, रमेश चौधरी, राज कुमार, जोगिंद्र, विजय अंबी, सुभाष चंद, शाम दुलारी, श्रेष्ठा देवी, स्वर्णा देवी, ओमी देवी, विभिन्न पंचायतों के जनप्रतिनिधियों ने कहा कि भाजपा के साथ ओबीसी वर्ग इसलिए जुड़ा है, क्योंकि ओबीसी वर्ग को हमेशा भाजपा ने मंत्रिमंडल में पर्याप्त प्रतिनिधित्त्व दिया है।

सरवीण महिला कोटे से बनीं मंत्री

लोगों ने कहा कि सरवीण चौधरी महिला कोटे से मंत्री बनी हैं, उनको ओबीसी वर्ग में नाममात्र का प्रभाव है। उन्होंने मुख्यमंत्री जय राम से मांग की है कि धवाला को उनके कद व पैठ के मुताबिक उच्च स्तरीय पद देकर सम्मानित किया जाए।

सामूहिक इस्तीफे

भाजपा के पदाधिकारियों ने अपने पदों से इस्तीफे देकर रमेश ध्वाला को सौंप दिए हैं। मंडल प्रधान चमन पुंडीर महासिचव जेपी चौधरी, शहरी प्रधान राम स्वरूप, मीडिया प्रभारी दीपक खौला, उपाध्यक्ष विमल चौधरी, प्रदेश सदस्य कमल हमीरपुरी, शाम दुलारी व अन्य ने इस्तीफे सौंप दिए हैं। उनका कहना है कि पार्टी कार्यकर्ताओं की भावनाएं पार्टी नेताओं के इस कुकृत्य से आहत हुई हैं और वे इस पार्टी में रहकर घुटन में मरना नहीं चाहते। वर्ष 2019 के चुनावों के लिए पार्टी कार्यकर्ता कोई काम नहीं करेंगे। भाजपा के विभिन्न मोर्चों व प्रकोष्ठों के लोग भी पदों से त्यागपत्र दे रहे हैं।

शांत रहें कार्यकर्ता, नेताओं की रही होगी कोई मजबूरी

कार्यकर्ताओं ने रमेश धवाला को रोककर पार्टी के आला नेताओं से बात करने को जोर डाला, ताकि पता चल सके कि उन्हें किस बात की सजा दी गई है, उनका क्या कसूर है, परंतु रमेश ध्वाला बुरी तरह से आहत होकर घर चले आए। रमेश ध्वाला ने कार्यकर्ताओं को संयम रखने का पाठ पढ़ाया और कहा कि वह भाजपा के अनुशासित सिपाही हैं और आगे भी रहेंगे। सरकार व संगठन के विरुद्ध वह एक शब्द भी नहीं कहेंगे और न ही उनके कार्यकर्ता धैर्य खोएंगे। उन्होंने कहा कि उनकी अनदेखी से उनके कार्यकर्ता, समर्थक व ओबीसी के नेता आक्रोशित व दुखी हुए हैं, परंतु हो सकता है कि हमारे नेताओं की इसमें भी कोई मजबूरी रही होगी। वह इसके लिए किसी को भी दोषी नहीं मानते हैं। वह माननीय मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का समर्थक व विश्वासपात्र हूं। मुझे उनको पूरा सहयोग व आशीर्वाद प्राप्त है। उन्होंने कार्यकर्ताओं से आह्वान किया कि वह निराश न हों वे अपने क्षेत्र का चहुंमुखी विकास करवाएंगे, किसी प्रकार की कमी नहीं होगी। उन्हें परम पिता परमात्मा पर पूरा भरोसा है, उनकी मेहनत रंग जरूर लाएगी।


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