काम जांचने गए अफसरों को क्यों नहीं दिखी दरार

ऊर्जा विभाग की सीनियर टीम अक्तूबर में कर आई थी चंबा का दौरा

शिमला— 180 मेगावाट के होली-बजोली प्रोजेक्ट के बांध में खतरनाक दरार के मामले में एक और खुलासा हुआ है। हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा बनाए गए ऊर्जा विभाग की एक बड़ी टीम इस प्रोजेक्ट का काम जांचने आई थी। यह दौरा 30 अक्तूबर से तीन नवंबर तक का बताया जाता है। दिलचस्प बात यह है कि रिपोर्ट में होली-बजोली प्रोजेक्ट के काम पर महकमे ने संतुष्टि की मुहर लगाई है। अब यह तो जांच में सामने आएगा कि शिमला से दूरदराज के इलाके में गई इस टीम को थर्मल क्रैकयुक्त ब्लॉक-1 दिखाया गया था या नहीं। इससे पहले मंडी का थलॉट हादसा हिमाचल को राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में ला चुका है। उस दौरान भी प्रोजेक्ट्स में व्याप्त खामियों पर लिखा जाता था, पर अधिकारी व प्रबंधक कुछ और ही जुबां बोलते थे। हाइडल प्रोजेक्ट्स में किसी तरह की कोई कोताही न हो, भविष्य में किसी भी तरह के संकट का सामना स्थानीय लोगों को न करना पड़े, ऊर्जा विभाग के तहत स्थापित किए गए सेफ्टी सैल को यह निगरानी करनी होती है। हैरानी की बात है कि प्रोजेक्ट के टूअर के दौरान इतनी बड़ी दरार जो डैम का कार्य पूरा होने पर अनदेखी के अभाव में कभी भी कहर बरपा सकती है, वह टीम को दिखी ही नहीं। चंबा भूकंप की दृष्टि से अति संवेदनशील क्षेत्रों में आता है। कुछ अरसा पहले संबंधित क्षेत्रों में ही जमीन धंसने की रिपोर्ट्स भी सामने आती रही हैं। इसके बाद प्रदेश के पर्यावरणविदों ने तो इसे मुद्दा बनाया ही था। राष्ट्रीय स्तर पर भी यह मामला सुर्खियों में रहा था। बावजूद इसके अंतरराष्ट्रीय स्तर के तकनीकी विशेषज्ञों से होली-बजोली प्रोजेक्ट में संबंधित खामी की जांच न करवाना और भी बड़ी कोताही बन सकता है। हालांकि उपायुक्त चंबा ने इसे लेकर जांच के आदेश दिए हैं। ऊर्जा विभाग के कार्यवाहक निदेशक अमरजीत सिंह ने भी कहा था कि रिपोर्ट्स मांगी गई है।

यह टीम गई थी चंबा

ऊर्जा विभाग के डिप्टी चीफ इंजीनियर व एडीशनल सुपरिटेंडेंट इंजीनियर (कंजरवेशन सिस्टम एंड सेफ्टी अथॉरिटी) की टीम 30 अक्तूबर से तीन नवंबर तक चंबा दौरे पर थी। इस टीम ने कोआरसी-टू 15 मेगावाट, सलोण नौ मेगावाट, होली नौ मेगावाट, होली-टू  सात मेगावाट, होली-बजोली 180 मेगावाट, कुठेड़ 240 मेगावाट व कुछ अन्य साइट्स का दौरा किया था।