जीवन चलते रहने का नाम …चलते रहें

पांवटा साहिब — ‘जीवन चलने का नाम, चलते रहें सुबह-शाम’ गीत के बोल में जिंदगी की असली हकीकत छिपी हुई है। कहते हैं कि पानी भी जहां ज्यादा देर तक खड़ा रहता है, तो उसमें बदबू आनी शुरू हो जाती है। इसलिए जीवन की धारा में भी प्रवाह इनसान को आम शख्सियत से जुदा बना देता है। जीवन की इसी हकीकत को 72 साल की उम्र में सिरमौर जिला के गिरिपार के प्रवेश द्वार पर स्थित सतौन कस्बे के शिक्षा विभाग से सेवानिवृत्त हो चुके वरिष्ठ शिक्षाविद्ध व लेखक किशन सिंह गतवाल ने चरितार्थ किया है। हाल ही में उनके द्वारा लिखी गई पुस्तक काव्य संग्रह ‘बहुत कुछ बाकी है’ का विमोचन हुआ और इस किताब को काफी लोकप्रियता भी मिल रही है। किताब का टाइटल ही बयां करता है कि जिंदगी में अंतिम सांस तक रुकना नहीं चाहिए और सदैव क्रियाशील रहना चाहिए। लिखने के शौकीन किशन सिंह गतवाल शिक्षा विभाग से सेवानिवृत्त होने के बाद से लगातार लेख लिखते आए। ‘दिव्य हिमाचल’ में पाठकों के पत्र के वह निरंतर लेखक रहे। उनके कई लेख भी ‘दिव्य हिमाचल’ में छपे हैं, जिससे उन्हें लेखन के क्षेत्र में आगे बढ़ने की प्रेरणा मिली। उसके बाद से वह काव्य संग्रह व साहित्य सामग्री को तैयार करने में लगे रहे। हाल ही में गत दिनों यशपाल जयंती के अवसर पर पांवटा साहिब में हिमाचल प्रदेश भाषा एवं संस्कृति विभाग शिमला द्वारा आयोजित दो दिवसीय काव्य गोष्ठी एवं शोध पत्र प्रस्तुति के आयोजन के दौरान किशन सिंह गतवाल की प्रथम पुस्तक ‘बहुत कुछ बाकी है’ का विमोचन भी हुआ।