ड्राफ्ट पार्किंग नीति पर सीसीआई नाराज

कहा, समस्याओं को हल करने के बजाय राजस्व अर्जित करना बन गया है प्रशासन का काम; रोड टैक्स कम करने की मांग

चंडीगढ़— चंडीगढ़ प्रशासन की आवासीय क्षेत्रों के लिए ड्राफ्ट पार्किंग नीति पर नाराजगी व्यक्त करते हुए चैंबर ऑफ चंडीगढ़ इंडस्ट्रीज (सीसीआई) ने कहा कि इस नीति का मुख्य उद्देश्य भीड़ और पार्किंग की समस्या को हल करने के बजाय राजस्व अर्जित करना है। सीसीआई का मानना है कि छह पृष्ठ की ड्राफ्ट पार्किंग नीति से प्रशासन ने सड़कों पर पार्किंग और भीड़ की समस्या के हल के लिए अधिक एक से अधिक कार खरीदने वालों को हतोत्साहित करने के लिए सख्त कदम प्रस्तावित किए है। प्रशासन ने एक तिमाही में बेची जाने वाली कारों की संख्या और दस लाख रुपए से ज्यादा की लागत वाली कारों की कीमत का आधा हिस्सा कर के रोड रूप में लेने और दूसरी कार खरीदी पर रोक लगाने का प्रस्ताव तैयार किया है। सीसीआई के अध्यक्ष  नवीन मंगलानी ने कहा कि मसौदे के ज्यादातर पहलू लोगों को सुलिधा देने की बजाए पैसे कमाने के उद्देश्य तैयार किए गए हैं।  उन्होंने कहा कि दूसरी व दस लाख से अधिक वाली कार पर रोड टैक्स बढाने से लोगों को पंचकूला और मोहाली से कार खरीदने के लिए मजबूर होंगे। ऐसे में प्रशासन का राजस्व बढने की बजाए घटेगा। ज्ञात रहे कि इससे पूर्व प्रशासन स्वयं भी लोगों की आपत्तियों के चलते नई पार्किंग नीति को आगामी 15 जनवरी के बाद लागू करने का निर्णय ले चुका है। लोगों को सबसे बढ़ी आपत्ति यह है कि प्रशासन किसी को कार खरीदने से रोक नहीं सकता, क्योंकि प्रसासन की अपनी सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था सुदृढ नहीं है अतः कार व दो पहिया वाहन  लोगों की आवश्यकता हैं। प्रशासन के प्रस्तावित ड्राफ्ट में हर नई कार खरीद के साथ सर्टिफिकेट ऑफ एंटाइटेलमेंट (सीओई) और पार्किंग स्थल की उपलब्धता का प्रमाण पत्र अनिवार्य होगा। प्रशासन के संबंधित विभाग में लगभग 50 ऐसी आपत्तियां प्राप्त हुई हैं जिनमें लोगों ने इसे व्यावहारिक नीति नहीं माना था। अब प्रशासन इन आपत्तियों पर आगामी 15 जनवरी तक विचार करने के बाद ही फाइनल पालिसी में संशोधन करने का फैसली लेगा।  लोगों की आपत्तियां प्रशासन के वित्त सचिव सुनेंगे। इस पर विचार करने के लिए नगर निगम ने आगामी 13 दिसंबर को पार्षदों व अधिकारियों की बैठक बुलाई है। ज्ञात रहे कि नगर निगम सदन की पिछली बैठक में भी इस पर चर्चा करने का एजेंडा आया था, पर उसे स्थगित कर दिया गया था। प्रशासन द्वारा तैयार मसौदे में सभी आईटी या औद्योगिक कंपनियों के  कर्मचारियों के लिए  बस की व्यवस्था करना अनिवार्य है या फिर परिसर के बाहर खड़ी होने वाली प्रत्येक कार से 1000 रुपए प्रतिदिन जुर्माने के रूप में चार्ज किया जाएगा। मसौदे में आवासीय क्षेत्रों में पार्किंग की समस्या से निपटने के लिए प्रशासन नीति बना रहा है कि  अगर किसी घर का मालिक दूसरी कार खरीद कर उसे घर के बाहर खडी करता हैं तो उसे रोडटैक्स के रुप में कार की आधी कीमत अदा करनी होगी। अर्थात अगर कार की कीमत दस लाख रुपए से ऊपर है तो रोड टैक्स कार की आधी कीमत के बराबर होगा। अब प्रशासन इन आपत्तियों पर आगामी 15 जनवरी तक विचार करने के बाद ही फाइनल पालिसी में संशोधन करने का फैसली लेगा।  लोगों की सभी आपत्तियों, शिकायतों को चंडीगढ़ प्रशासन के वित्त सचिव सुनेंगे।