बांध में दरार पर हरकत में सरकार

‘दिव्य हिमाचल’ की रिपोर्ट के बाद प्रोजेक्ट पर कंपनी से मांगी रिपोर्ट

शिमला — चंबा में 180 मेगावाट के होली-बजोली बांध में खतरनाक दरार की रिपोर्ट ‘दिव्य हिमाचल’ द्वारा प्रकाशित करने के बाद सरकार हरकत में आ गई है। प्रोजेक्ट प्रबंधकों से सरकार ने बुधवार को रिपोर्ट तलब की है। इसके बाद अलग से एक टीम गठित की जा रही है, जो संबंधित घटनाक्रम की जांच करेगी। ऊर्जा निदेशालय में इसके लिए अलग से सेफ्टी सैल स्थापित है, जो इस घटनाक्रम पर नजर रख रहा है। इसकी पुष्टि कार्यवाहक ऊर्जा निदेशक अमरजीत सिंह ने की है। उनका कहना था कि यह काफी संवेदनशील मामला है, लिहाजा कंपनी की रिपोर्ट के बाद इस पर आगामी कार्रवाई गंभीरता से अमल में लाई जाएगी। जीएमआर कंपनी द्वारा यह पहला हाइडल प्रोजेक्ट हिमाचल में स्थापित किया जा रहा है। इससे पहले कंपनी इंटरनेशनल एयरपोर्ट दिल्ली, गोवा का बीओटी  आधार पर रखरखाव देखती है। वहीं कुछ अन्य बड़े प्रोजेक्ट्स में भी कंपनी निवेश करती है, मसलन रेलवे व अन्य। इस डैम का कार्य अगस्त 2013 में शुरू हुआ था, जिसे अगस्त 2018 में पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित है। प्रोजेक्ट से संबंधित डैम की दीवार में दरार पर आधारित खबर प्रकाशित होने के बाद प्रोजेक्ट प्रबंधकों में भी हड़कंप की स्थिति है। यह दरार डैम की मुख्य दीवार के ब्लॉक नंबर 1 में पाई गई है, जिसे मरम्मत करके दुरुस्त नहीं किया जा सकता है, ऐसा तकनीकी विशेषज्ञों का दावा है। बहरहाल, प्रोजेक्ट निर्माण के दौरान ऊर्जा विभाग द्वारा गठित सेफ्टी सैल दूरदराज के इलाकों में स्थापित होने वाले ऐसे प्रोजेक्ट्स पर यदि कड़ी निगरानी नहीं रखेगा, तो ऐसी सूचनाओं पर लीपा-पोती भी हो सकती है। उधर, होली-बजोली प्रोजक्ट के महाप्रबंधक सोम प्रकाश बंसल ने स्पष्ट किया है कि बांध के नॉन ओवरफ्लो ब्लॉक की सती पर थर्मल क्रैक हैं और ये क्रैक केवल एल-वन ब्लॉक के डाउनस्ट्रीम भाग की ऊपरी सतह तक सीमित हैं। उनका दावा है कि रिजर्वायर साइड पर इनका कोई प्रसार व प्रभाव नहीं है। उनका यह भी दावा है कि इन कै्रक की वजह से डैम पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा और कंपनी के डैम या किसी भी स्ट्रक्चर से प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष नुकसान की कोई आशंका नहीं है।

स्वतंत्र एजेंसी से हो जांच

बांध में दरार होना कोई छोटा मामला नहीं है और इसकी स्वतंत्र एजेंसी से जांच की मांग उठ रही है। 180 मेगावाट का यह प्रोजेक्ट न केवल चंबा के लिए महत्त्वपूर्ण है, बल्कि इसी प्रोजेक्ट के 25 किलोमीटर नीचे चमेरा-3 परियोजना भी है। यदि ताजा घटनाक्रम को गंभीरता से नहीं लिया गया तो आने वाले वक्त में यह कोई बड़ी अप्रत्याशित घटना को आमंत्रण दे सकता है।