बिलासपुर लाइब्रेरी के हाल बेहाल

 बिलासपुर — सेवानिवृत्त कर्मचारी कल्याण एवं विकास मंच ने बिलासपुर मुख्यालय में स्थापित जिला लाइब्रेरी की हालत पर सवाल उठाए हैं। मंच का कहना है कि पुस्तकालय पुस्तकों का घर होता है तथा यह अतीत और वर्तमान के साथ भविष्य के मार्गदर्शक की भूमिका भी निभाता है। जिला पुस्तकालय 1950 में प्रदेश के लगभग सभी जिला मुख्यालयों में एकसाथ खोले गए थे, ताकि यहां पर हर वर्ग के लोग बैठकर ज्ञान प्राप्त कर सकें, लेकिन उचित देखरेख के अभाव में पुस्तकालय सफेद हाथी बनकर गए हैं, न किताबों का सही तरीके से रखरखाव है और न ही प्रतियोगी परीक्षाओं के मद्देनजर ऐसी पुस्तकों की उपलब्धता, लिहाजा पुस्तकालय सिर्फ नाम के ही रह गए हैं। सेवानिवृत्त कर्मचारी कल्याण एवं विकास मंच बिलासपुर के अध्यक्ष डा. केडी लखनपाल ने रविवार को यहां कहा कि इन पुस्तकालयों में पुस्तकें भी समय-समय पर खरीदी गई हैं, लेकिन जिला पुस्तकालयों के सदस्यों की संख्या बहुत धीमी गति से बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि बिलासपुर जिला पुस्तकालय में भी कुल मिलाकर 60 हजार के करीब पुस्तकें भंडार में मौजूद हैं, लेकिन यह पुस्तकें लकड़ी तथा लोहे की पुरानी और टूटी फूटी अलमारियों में ठूंस-ठूंस कर भरी गई हैं। ऐसे में यह पुस्तकालय कम और स्टोर ज्यादा प्रतीत होती हैं, क्योंकि यदि पढ़ने वालों ने देख-देखकर पुस्तकें लेनी हों तो कमरे के अंदर चलने के लिए बहुत कम जगह उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि आजकल प्रतियोगिताओं का जमाना है। प्रतियोगी परीक्षाओं के मद्देनजर ऐसी पुस्तकों का संग्रह ज्यादा होना चाहिए, जिससे यहां पाठकों की संख्या के साथ-साथ  सदस्यों की संख्या में भी इजाफा होगा। उन्होंने कहा कि कहने को तो बिलासपुर जिला पुस्तकालय के सदस्यों की संख्या 1025 हैं, लेकिन असल में नियमित तौर पर केवल 150 के करीब ही सदस्य मौजूद हैं। विकास मंच ने सरकार से मांग की है कि जिला पुस्तकालयों के रखरखाव तथा सुधार के लिए एक कमेटी गठित करके बदलते समय के साथ-साथ किताबों  की खरीद व उनके रखने की उचित व्यवस्था की जानी आवश्यक है, ताकि पाठक वहीं पर उनका उपयोग कर लाभ उठा सकें।