ब्यास में रिस रहा सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट-घरों का गंदला पानी

एनजीटी के निर्देशों की कुल्लू से मंडी तक तिलांजलि, 642 घर सीवरेज कनेक्श से महरूम

कुल्लू— जीवनदायिनी कही जाने वाली ब्यास नदी सीवरेज से ही प्रदूषित होने लगी है। मनाली से लेकर मंडी तक की बात की जाए तो कई जगहों पर ब्यास नदी में सरेआम कूड़ा-कचरा फैंकने का काम प्रतिबंध के बावजूद जारी है। हालांकि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कई बार नदियों की मॉनीटरिंग करता है, लेकिन ब्यास में बह रही गंदगी पर रोक लगाने के लिए कोई उचित कार्रवाई अमल में नहीं लाई जा रही है। हैरानी तो इस बात की है कि नगर परिषद कुल्लू के 11 वार्डों में 3021 कनेक्शनों में 2376 घरों को सीवरेज से जोड़ा गया है, जबकि 642 घर अभी तक सीवरेज से नहीं जुड़ा पाए हैं। इतने घरों से निकलने वाली गंदगी सीधी ब्यास की जलधारा में बह रही है। बता दें कि गत वर्ष भी केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने हिमाचल की नदियों की मॉनीटरिंग की थी। उस दौरान भी हिमाचल की आठ नदियों का पानी भी तय मानकों के हिसाब से सही नहीं पाया गया। उसमें कुल्लू से बहने वाली ब्यास नदी भी शामिल थी, लेकिन मौजूदा समय में भी नदी की हालत जस की तस है। हालांकि एनजीटी ने जिला प्रशासन, आईपीएच और नगर परिषद कुल्लू को सख्त निर्देश दिए हैं कि शहर के सभी घरों को सीवरेज से जोड़ा जाए, लेकिन पिछले कई सालों से कुल्लू नगर परिषद के तहत आने वाले 11 वार्डों में अभी तक कई घर सीवरेज से नहीं जुड़ पाए हैं। इन घरों से निकलने वाली गदंगी सीधी ब्यास में बह रही है। कई बार नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने जिला प्रशासन, आईपीएच, नगर परिषद कुल्लू और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को नोटिस जारी किए हैं। बावजूद इसके घरों को सीवरेज से जोड़ने का कार्य कछुआ चाल से चला हुआ है। ब्यास नदी सबसे ज्यादा 80 किलोमीटर एरिया में प्रदूषित होकर बह रही है। जानकारी के मुताबिक सीवरेज की गंदगी को सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में ट्रीट कर नदी में छोड़ दिया जाता है, जिस पानी को आगे कई स्थानों पर लोगों द्वारा प्रयोग में लाया जाता है। इससे लोगों और जानवरों में बीमारी फैलने की संभावना बढ़ गई है।

शिमला के पीलिया से नहीं लिया सबक

पिछले वर्ष सीवरेज की गंदगी से शिमला में पीलिया फैला था। बावजूद इसके सिंचाई एवं जनस्वास्थ्य विभाग ने कोई सबक नहीं लिया। विभाग की यह लापरवाही जनता पर भी भारी पड़ सकती है।

पानी में बॉयोलॉजिकल ऑक्सीजन मानकों से कम

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की मॉनीटरिंग में बीते वर्ष भी नदियों के पानी में बॉयोलॉजिकल ऑक्सीजन तय मानकों से कम पाया गया। बोर्ड ने यह तो कह दिया कि नदियों का दूषित पानी किसी भी तरह के जीव-जंतुओं के अलावा मनुष्यों के लिए भी ठीक नहीं है, पर नदी को प्रदूषण से बचाने के लिए कार्रवाई नहीं की।