भैंस ‘बताएगी’, किसने छोड़ा लावारिस

नौहराधार – जिला सिरमौर में आवारा पशुओं की दिन-प्रतिदिन बढ़ रही संख्या पर अब रोक लग जाएगी। पशुपालन विभाग की ओर से पशुओं के पंजीकरण की प्रक्रिया शुरू की जा रही है। पहले भी पंजीकरण हुआ करते थे, लेकिन योजना कारगर साबित नहीं हो सके। इस बार विभाग इसके लिए एक कारगर योजना लेकर आया है। जल्द ही योजना आरंभ की जा रही है। इस योजना के तहत गाय-भैंसों के अलावा अन्य पशुओं का भी पंजीकरण किया जाएगा। ‘दिव्य हिमाचल’ में 18 नवंबर को संगड़ाह में लावारिस पशु बने सिरदर्द शीर्षक से छपी खबर के बाद विभाग हरकत में आया है। पशुओं के पंजीकरण की प्रक्रिया विभाग की ओर से यूनिट आइडेंटिफिकेशन नंबर कार्ड देकर की जाएगी। इसके लिए सभी पशुओं के कानों में टैग लगाया जाएगा। इस टैग में 12 नंबर का यूनिक आईडी बार कोड होगा। यह बार कोड पशुओं की पहचान होगा। बार कोड में पशु के रंग नस्ल जन्मतिथि उपचार टीकाकरण कब किया गया, उपचार किस रोग को लेकर दिया गया, पशु मालिक का नाम, जगह, पशु की प्रजनन दर, दूध देने की क्षमता और अन्य जानकारी का डिजिटल डाटा शामिल होगा और समय-समय पर इसे अपडेट करते रहेंगे। हर पशु को यह यूनिक आईडी देने का एक बड़ा लाभ यह होगा कि अगर किसी भी पशु मालिक द्वारा अपने गाय-भैंस को आवारा छोड़ा जाता है तो इस आईडी वाले टैग से पशु के मालिक का नाम और जगह का पता लग जाएगी। उधर,पशुपालन विभाग नाहन असिस्टेंट डायरेक्टर नीरू शबनम ने बताया कि विभाग की ओर से आईडी टैग लगाए जाएंगे। जिला सिरमौर में 239 पशु औषधालय हैं, जबकि 78 संस्था मुख्यमंत्री पशु आरोग्य के अंतर्गत आते हैं। इसके लिए एक्ट-1997 के तहत पंचायती राज भी हमारे साथ सहयोग करता है। पंचायती राज विभाग हमारी संस्था में डाक्टर व फार्मासिस्ट को बताएंगे कि कौन-कौन से पशुओं को टैग लगने हैं। यदि इसके बाद भी हमारे कर्मचारी जाकर यह काम नहीं करेंगे तो कार्रवाई की जाएगी। विभाग इसके प्रति प्रयासरत है।

जिला में गणना के आधार पर पशुओं की संख्या

सुधरी नस्ल वाले बछड़े की संख्या-12359

सुधरी नस्ल वाली गाय की संख्या- 54501

देशी नस्ल वाले बैलों की संख्या- 88332

देशी नस्ल वाले गउओं की संख्या- 23933

कुल 179,125 पशु हैं तथा 42,970 भैंसें हैं।