महिमा लाइब्रेरी में जगह पाने को धक्कामुक्की

By: Dec 5th, 2017 12:20 am

अंग्रेजों के जमाने में बने पुस्तकालय में 75 हजार किताबों का संग्रह; पर अभी भी भवन की दरकार, स्टाफ की खल रही कमी

नाहन— प्रदेश की पहली तथा सबसे पुरानी महिमा लाइब्रेरी नाहन में वर्तमान में करीब 75 हजार पुस्तकों का संग्रह है। इनमें से 30 हजार अंग्रेजी, 25 हजार हिंदी, तीन हजार उर्दू, 2800 संस्कृत तथा एक हजार पुस्तकें पंजाबी भाषा की हैं। इसके अलावा महिमा पुस्तकालय में राजा राममोहन राय ट्रस्ट द्वारा दी जाने वाली पुस्तकों का संग्रह भी करीब 20 हजार के आसपास है, जिसमें अंग्रेजी व हिंदी भाषा की पुस्तकें शामिल हैं। लाइबे्ररी में स्पेश कम होने से जगह पाने को कई बार धक्का-मुक्की तक की नौबत आ जाती है। पुस्तकालय में कई ऐतिहासिक पुस्तकें भी धरोहर के रूप में रखी गई हैं। महिमा पुस्तकालय में स्टाफ का आरंभ से ही अभाव रहा है। जिला पुस्तकालय अध्यक्ष का पद लंबे समय से रिक्त पड़ा हुआ है। इसके अलावा कनिष्ठ सहायक, सहायक पुस्तकालय अध्यक्ष के दो पद हैं, जिसमें से एक पद खाली पड़ा हुआ है। चतुर्थ श्रेणी के चार कर्मी वर्तमान में यहां पर तैनात हैं। केवल एक सहायक पुस्तकालय अध्यक्ष के हवाले 75 हजार पुस्तकों का जिम्मा है। यही नहीं, पुस्तकालय में करीब 20 अलमारियों की आवश्यकता पुस्तकों के रखने के लिए है, परंतु अभी तक नई अलमारियां वर्षों से पुस्तकालय को नहीं मिली हैं। वहीं महिमा पुस्तकालय नाहन आज सरकार, शिक्षा विभाग व प्रशासन की अनदेखी का शिकार है। पुस्तकालय भवन की वर्षों से कोई विशेष मरम्मत नहीं हो पाई है। पुस्तकालय के लिए यह चिंता का विषय है कि राज्य स्तरीय दर्जा अब सिमटकर जिला स्तरीय रह गया है। पुस्तकालय का रखरखाव भले ही उच्च शिक्षा विभाग के अधीन है, परंतु अभी भी शिक्षा विभाग की ओर से पर्याप्त बजट न होने के कारण महिमा पुस्तकालय का नियमित खर्चा जिला प्रशासन मंदिर ट्रस्ट त्रिलोकपुर के खाते से कभी-कभार वहन कर लेता है। महिमा पुस्तकालय के भवन की हालत यह है कि बरसात में इसकी छत से पानी टपकता है। प्रदेश की ऐतिहासिक महिमा पुस्तकालय में 250 नियमित सदस्य हैं। यहां पर रीडिंग रूम में 18, न्यूज पेपर रूम में नौ, मैगजीन कक्ष में 12, कंपीटीशन कक्ष में आठ, रेफरेंश कक्ष में 18 तथा चिल्ड्रन सेक्शन में छह पाठकों की क्षमता ही है। महिमा पुस्तकालय नाहन के सहायक पुस्तकालय अध्यक्ष कुलदीप सिंह का कहना है कि फिलहाल पुस्तकालय में जगह की काफी कमी है। पुस्तकों के रखने के लिए अलमारियों व फर्नीचर की भी आवश्यकता है। कम जगह में पाठकों को बेहतर माहौल देने का प्रयास किया जाता है।

महारानी महिमा की याद में खोली थी लाइब्रेरी

सिरमौर रियासत के कार्यकाल के दौरान वर्ष 1930 में तत्कालीन महारानी मदालसा कुमारी देवी ने प्रजा के हित में महारानी महिमा देवी की याद में यह पुस्तकालय खोला था। महारानी महिमा देवी के पुस्तकों के प्रति बेहद लगाव के कारण ही हिमाचल प्रदेश में पहला पुस्तकालय नाहन में खोला गया था। स्वतंत्रता से पूर्व पुस्तकालय की देखरेख का जिम्मा सिरमौर रियासत के राजा के अधीन होता था। 1947 में आजादी के बाद यह पुस्तकालय हिमाचल सरकार के अधीन चला गया।


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