मेडिकल कालेज नाहन झेल रहा बजट की मार

 नाहन — प्रदेश के तीसरे सरकारी क्षेत्र में स्थित डा. यशवंत सिंह परमार मेडिकल कालेज एवं अस्पताल नाहन को स्थापना के करीब डेढ़ वर्ष बाद भी सरकार की ओर से दी जाने वाली रोगी कल्याण समिति की सहायता राशि जारी न होने से मेडिकल कालेज प्रशासन परेशानी में है। कंगाली की वजह से जहां मेडिकल कालेज प्रशासन कालेज संचालन के लिए नए उपकरण नहीं खरीद पा रहा है, वहीं कर्मचारियों के वेतन के भी लाले पड़े हुए हैं। सबसे बड़ी परेशानी मेडिकल कालेज के अधीन अस्पताल के लिए खरीदे जाने वाले उपकरणों को लेकर पेश आ रही है। अभी भी मेडिकल कालेज नाहन में पूर्व में रहे रीजनल अस्पताल के ही उपकरणों से कार्य चलाया जा रहा है। यह उपकरण कई साल पुराने हो चुके हैं तथा समय-समय पर यह उपकरण दम भी तोड़ देते हैं, जिसके चलते मेडिकल कालेज के अस्पताल में जहां प्रशासन स्वयं को मजबूर महसूस कर रहा है, वहीं मरीजों को भी मेडिकल कालेजों की भांति सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। गौर हो कि हिमाचल प्रदेश में आईजीएमसी शिमला व टांडा मेडिकल कालेज के बाद सरकारी क्षेत्र में तीसरा मेडिकल कालेज वर्ष 2016 में नाहन में खोला गया है। यहां पर एमबीबीएस की प्रति बैच 100 सीटें रखी गई हैं। वर्तमान में मेडिकल कालेज में एमबीबीएस का दूसरा बैच आरंभ हो चुका है। मेडिकल कालेज के अस्पताल में जो सुविधाएं मेडिकल कालेज के बाद मिलनी चाहिए वह अभी मरीजों को पर्याप्त रूप से नहीं मिल रही हैं। भले ही अधिकांश विभागों में विभागाध्यक्षों के पद भरे जा चुके हैं, परंतु चिकित्सकों को उचित व नवीन मशीनें अभी कालेज में उपलब्ध नहीं हैं। सबसे बड़ी समस्या बजट की पेश आ रही है। मेडिकल कालेज नाहन को पर्याप्त बजट नहीं मिल रहा है। यहां तक कि सरकार की ओर से मेडिकल कालेज को दी जाने वाली रोगी कल्याण समिति के तहत मदद भी पिछले डेढ़ वर्षों से नहीं मिल पाई है। यहां तक कि रोगी कल्याण समिति के तहत जो कर्मी तैनात हैं उनके वेतन को भी लाले पड़ गए थे। जानकारी के मुताबिक सरकार द्वारा रोगी कल्याण समिति के तहत तैनात कर्मचारियों के वेतन के लिए तो छह माह की ग्रांट भेजी गई है, परंतु जो आर्थिक मदद मेडिकल कालेज को वेतन के अलावा दी जाती थी वह अभी तक नहीं मिली है। हैरानी की बात है कि प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य मंत्री कौल सिंह ठाकुर ने भी नाहन प्रवास के दौरान मेडिकल कालेज नाहन की रोगी कल्याण समिति की पहली बैठक में आश्वासन दिया था कि कालेज के लिए धन की कमी आड़े नहीं आने दी जाएगी, परंतु डेढ़ वर्ष की अवधि बीत जाने के बावजूद भी आरकेएस की ग्रांट जारी नहीं हो पाई है। गौर हो कि मेडिकल कालेज का कार्य फिलहाल रीजनल अस्पताल के पुराने भवन में ही चलाया जा रहा है। पुराने भवन में कुछ फेरबदल व अतिरिक्त कमरों की व्यवस्था से ही मेडिकल कालेज संचालित किया जा रहा है।