मेहनत रंग लाई, बंजर जमीन पर फसलें लहलहाईं

घुमारवीं — बेसहारा पशुओं से परेशान खेती छोड़ चुके पट्टा पंचायत के गांव बाड़ी-कंरगोडा के किसानों ने मिसाल पेश की है। किसानों की पॉजटिव सोच से गांव में पिछले चार सालों से बंजर पड़ी उपजाऊ भूमि पर दोबारा फसलें लहलहाएंगी। किसानों ने बिना किसी सरकारी अनुदान से लगभग एक लाख रुपये खर्च करके करीब 200 बीघा भूमि पर कांटेदार तार लगाकर इसे बेसहारा पशुओं से फसलों के लिए सुरक्षा कवच लगाया है। इससे किसान अब बेसहारा पशुओं से चिंता मुक्त होकर खेती-बाड़ी कर सकेंगे। जानकारी के मुताबिक घुमारवीं शहर से सटे बाड़ी-कंरगोड़ा गांव के किसानों ने बेसहारा पशुओं के आतंक से बंजर हो चुकी 200 बीघा जमीन पर कांटेदार तार लगाकर इसे फिर से खेती-बाड़ी के लिए तैयार किया है। गांव में करीब 72 परिवारों ने सामूहिक रूप से अपनी 200 बीघा जमीन में कांटेदार तार लगाई है। किसानों ने बंजर हो चुकी 200 बीघा जमीन पर कांटेदार तार लगाकर इसे फिर से खेतीबाड़ी के लिए तैयार किया है। इसमें अहम बात यह है कि किसानों ने इसके लिए सरकार से काई अनुदान राशि नहीं ली। गांव के लोगों ने श्रमदान करके इस 200 बीघा जमीन में करीब एक लाख रुपए खर्च करके कांटेदार तार लगाई। अब इस 200 बीघा जमीन में किसान आराम से खेतीबाड़ी कर सकेंगे। श्रमदान व एक लाख के करीब पैसा खर्च कर बंजर हो चुकी जमीन को ऊपजाऊ बनाने के लिए किसानों द्वारा उठाए कारगर कदम की काफी चर्चा है। 200 बीघा भूमि पर कांटेदार तार लगाने के बाद अब बाड़ी मझेड़वां, पालगरिया, चूरन, पाडला व पलाशी सहित अन्य गांवों में अब बेसहारा पशुओं के आतंक से लोग खेतीबाड़ी करना नहीं छोड़ेंगे। गांव के सागर, भूरी सिंह, राजेंद्र सिंह, रोशन लाल, पवन, पूनम व विनोद ने इसकी शुरुआत करके बेसहारा पशुओं से परेशान किसानों के लिए मिसाल पेश की है। बाद में इस कार्य के लिए सभी लोगों ने इसमें सहयोग किया। किसानों ने बताया कि उन्होंने चार वर्ष पहले बेसहारा पशुओं के आतंक से खेती-बाड़ी करना छोड़ दी थी, लेकिन इस बार सभी ने सामूहिक रूप से निर्णय लिया कि बंजर हो चुकी जमीन को फिर से उपजाऊ बनाया जाए। जिसके लिए सभी ने सामूहिक रूप से श्रमदान व एक लाख रूपये खर्च करके 200 बीघा जमीन के चारों तरफ कांटेदार लगाई।