मैरीकॉम को आदर्श मानती है मोनिका नेगी

पंजाब यूनिवर्सिटी चंड़ीगढ़ में संपन्न हुई ऑल इंडिया इंटर यूनिवर्सिटी चैंपियनशिप में हिमाचल की बेटी मोनिका नेगी ने पहली बार कांस्य पदक जीत पर प्रदेश का नाम रोशन किया है। ‘दिव्य हिमाचल’ से हुई विशेष बातचीत में मोनिका नेगी ने बताया कि उसने छह गोल्ड मेडल राज्य स्तरीय बॉक्सिंग चैंपियनशिप में जीते हैं। इसके अलावा स्कूल नेशनल बॉक्सिंग चैंपियनशिप में भी वर्ष 2016 में कांस्य पदक जीता है।

मोनिका नेगी ने प्रारंभिक व माध्यामिक तक की पढ़ाई पनेल में प्राप्त की है, जबकि दसवीं बडआस स्कूल से पास की। माता अनीता नेगी और पिता मोहन नेगी के घर जन्मी मोनिका नेगी ने जमा दो की पढ़ाई राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यामिक स्कूल रामपुर बुशहर से उत्तीर्ण की। वर्तमान में वह राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय रामपुर बुशहर में बीए प्रथम वर्ष में अध्ययनरत है। नेगी के पिता मोहन नेगी भी अपने समय में एक अच्छे स्पोर्ट्समैन रहे हैं, लेकिन अवसर के साथ सुविधा न मिलने से आगे किसी बड़े मुकाम पर न पहुंच सके, लेकिन पिता के सपने को आगे उनकी बेटी मोनिका ने पूरा किया और जमा दो में स्कूल नेशनल गेम्ज में पहली बार कांस्य पदक जीता। मोनिका ने पदक जीतने का अपना क्रम जारी रखा और हाल ही में आल इंडिया इंटर यूनिवर्सिटी में भी कांस्य पद जीत कर प्रदेश का मान देश में बढ़ाया है। उन्होंने सरकार से इस ओर ध्यान केंद्रीय करने का आग्रह किया है ताकि प्रदेश की झोली में और मेडल आ सकें। मोनिका को खेलों में खेलने की प्रेरणा उनके पिता से ही मिली है, जिनके प्रयासों व अपनी मेहनत से आज वह इस मुकाम पर है। मोनिका का मानना है कि बॉक्सिंग में व्यक्तिगत तौर पर ही मेहनत करके मेडल प्राप्त किया जा सकता है। इसमें टीम वर्क की जरूरत नहीं है। इसके लिए मोनिका ने बॉक्सिंग को करियर बनाने के लिए चुना है।

उन्होंने कहा कि अगर हरियाणा और पंजाब की बेटियों खेलों में मेडल जीत सकती हैं, तो प्रदेश की बेटियां क्यों नहीं, बशर्ते परिजनों को बेटियों के प्रति अपनी मानसिकता में बदलाव लाना होगा, यह तभी संभव है। उन्होंने बताया कि वह रोहतक में होने जा रही सीनियर एलायरंस चैंपियनशिप में भाग लेने जा रही हैं, जिसका आयोजन छह से 12 जनवरी तक किया जा रहा है। मोनिका नेगी का सपना है कि वह बॉक्सिंग में नेशनल प्लेयर बने और ओलंपिक खेलने का सपना संजोए हुए है, जिसे पूरा करने के लिए वह दिन-रात मेहनत कर रही है। हाई लेवल की कोचिंग ले रही है और इंडियन कैंप में ट्रायल के लिए भी प्रयासरत है।

मुलाकात

हिमाचल में खेलों की सुविधा की कमी खलती है…

बेटी होने पर कितना नाज है और कब लगा कि नारी शक्ति खुद पर फख्र कर सकती है?

मुझे बेटी होने पर बहुत नाज है। जब मैं अपनी मम्मी को देखती हूं, तो मुझे लगता है कि सच में एक नारी में जितनी सहनशक्ति होती है, वह किसी में नहीं। इसलिए हर नारी को अपने ऊपर फख्र महसूस करना चाहिए।

भारतीय परिदृश्य में कौन सा नारी चरित्र आपसे मेल खाता है। कौन सी शख्सियत आपका रोल मॉडल है?

मेरा रोल मॉडल भारतीय बॉक्स्ंिग खिलाड़ी एमसी मैरीकॉम  हैं। जब मैं छोटी थी, तो टीवी में उनको देखती थी। मैं खुद ऐसे ही बनने का सपना देखती रहती थी।

आल इंडिया इंटर यूनिवर्सिटी प्रतियोगिता में मेडल तक पहुंचने के लिए आप किसे श्रेय देना चाहेंगी?

इंडिया इंटर यूनिवर्सिटी तक पहुंचने के लिए  मैं श्रेय  अपने कोच  सम्मी नेगी और  नेत्रा थापा को देना चाहूंगी। क्योंकि ये मुझको फ्री ट्रेनिंग करवाते हैं।

अलग लक्ष्य क्या रहेगा?

अभी नेशनल चैंपियन बनना और ओलंपिक से भारत के लिए मेडल जीतना।

अब तक के खेल करियर का सबसे रोमांचकारी किस्सा, कोई मुकाबला जो यादगार बन गया?

अभी का ही  इंडिया इंटर यूनिवर्सिटी का ही किस्सा है। मेरी फाइट  थी भोपाल एकेडमी की लड़की से। वह काफी पहले से खेलती थी, तो जब मेरी फाइट उसके साथ थी, तो थोड़ी घबराहट सी होने लगी, पर पापा की एक बात याद आई कि हौसले बुलंद हों तो जीत हमारे कदमों में होगी और वही हुआ। उसको हराकर सबसे ज्यादा खुशी मिली।

कोई हार, जिसने आपको जीतने की प्रेरणा दी?

स्कूल में नेशनल गेम्स में एक लड़की से हार कर जो दुख हुआ, तभी सोच लिया था कि अब जीतना ही है। वह हार ही मेरे लिए प्रेरणा बन गई।

मुक्केबाजी ही क्यों? आपके लिए यह खेल क्या मायने रखता है?

मुक्केबाजी एक ऐसी गेम है, जिसमें व्यक्तिगत रूप से मेहनत करनी पड़ती है। यह गेम ऐसी गेम है, जिसमें आपका नाम होता है और इस गेम में लड़कियां स्ट्रांग बनती हैं। लोग उन पर फख्र महसूस करते हैं।

किस अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी के स्टाइल पर फिदा हैं और क्यों?

मोहम्मद अली और उनका स्टाइल मुझे अच्छा लगता है।

बॉक्सिंग में हिमाचली बेटियां क्यों नहीं आगे बढ़ पा रहीं। महिला खेलों में प्रदेश के प्रयासों से कितना संतुष्ट हैं?

हिमाचल में खेलों के लिए मूलभूत सुविधा नहीं है कोई  स्पोर्ट्स  होस्टल नहीं है और कोचिंग की कमी, यही वजह है। हिमाचल में प्रतिभा की कमी नहीं है पर उसको निखारने वाला भी चाहिए।

अमूमन कितने घंटे अभ्यास करती हैं और किस तरह खुद को मुकाबलों के लिए तैयार करती हैं?

हमें शारीरिक फिटनेस के साथ दिमागी तौर पर भी फिट रहना पड़ता है। शारीरिक फिटनेस के लिए मैं सुबह शाम चार- चार घंटे  अभ्यास करती हूं। दिमागी तौर पर फिट रहने के लिए मुझे मेरे कोच व मेरे माता-पिता टिप्स देते हैं।

बॉक्सिंग के अलावा आपके लिए अन्य खेलें। खेलों से हटकर मोनिका के लिए संसार में ओर क्या है?

सभी  खेल पसंद हैं, लेकिन क्रिकेट ज्यादा पसंद करती हूं। मुझे पढ़ाई करना अच्छा लगता है क्योंकि खेल के साथ- साथ वह भी मेरे लिए बहुत जरूरी है।

जब हिमाचली होने पर गर्व महसूस होता है। कोई ऐसी नाटी जिस पर आपके पांव थिरक उठते हैं?

हिमाचली होना अपने आप में ही गर्व की बात है। और कोई भी  बुशहरी गाना लग जाए, पांव तो खुद- व -खुद थिरकने लग जाते हैं।

एक सपना,जो आपकी उम्मीदों में जोश भर देता है?

भारत के लिए इंटरनेशल मेडल जीतना।

हिमाचल की किस महिला खिलाड़ी को श्रेष्ठ पायदान पर देखती हैं?

प्रियंका नेगी, सुषमा वर्मा को  श्रेष्ठ पायदान पर देखती हूं।

-जसवीर सिंह, सुंदर नगर