सुविधाओं को तरसे पांवटा के कामगार

पांवटा साहिब – पांवटा साहिब भले ही औद्योगिकीकरण के कारण दिन-प्रतिदिन उन्नत्ति के पथ पर अग्रसर हो रहा हो, लेकिन इस उन्नत्ति में जिन औद्योगिक कामगारों का अहम योगदान रहा है उनके लिए यहां सुविधाएं नाममात्र की भी नहीं हैं। जिस पांवटा साहिब को आज उद्योगों के कारण पूरे देश में जाना जाता है वहां पर काम करने वाले मजदूरों की हालत बयां करने लायक भी नहीं है। कई फैक्ट्रियों में जहां श्रम कानूनों का उल्लंघन हो रहा है, वहीं मजदूरों को लेबर होस्टल और ईएसआई अस्पताल जैसी मूलभूत सुविधाएं भी नसीब नहीं हो रही हैं। पांवटा साहिब में अभी तक न तो मजूदरों के लिए लेबर होस्टल और महिला कामगारों के लिए होस्टल की सुविधा मुहैया हो पाई है और न ही ईएसआई की अच्छी सुविधा। मजदूरों से हर महीने ईएसआई कटने के बाद भी उनकों स्वास्थ्य संबंधी पूरी सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। जानकारी के मुताबिक पांवटा साहिब में रिकार्ड के मुताबिक विभिन्न उद्योगों में करीब 15 हजार से अधिक श्रमिक काम करते हैं। लेबर होस्टल न होने के कारण मजदूरों को आसमान छूते पांवटा में कमरों के दाम में महंगे किराए में कमरे लेने पड़ते हैं,  हालांकि कई उद्योगों में कैंटीन की व्यवस्था भी है लेकिन ज्यादातर छोटे उद्योगों में कामगारों को यह सुविधा भी नहीं मिल पाती है। धौलाकुआं की डिस्पेंसरी का भवन तो भगवान भरोसे है। वहां पर कोई चौकीदार भी नहीं बैठता, क्योंकि यह पता नहीं है कि वह जर्जर भवन कब गिर जाए। आपातकाल के समय ईएसआई डिस्पेंसरियों में कोई खास इंतजाम नहीं हैं। ईएसआई डिस्पेंसरियों में 108 एंबुलेंस की सुविधा भी नहीं है। ऐसे कठिन हालातों में भी विकास की रीढ़ कहे जाने वाले मजदूर काम कर पांवटा के विकास को बुलंदियों पर पहुंचा रहे हैं, लेकिन उनके अधिकारों और सुविधाओं के लिए लंबे अंतराल से जोरदार तरीके से शायद आवाज नहीं उठ पाई जिस कारण मजदूर आज भी अपनी मूलभूत सुविधाओं को तरस रहे हैं।

जिलाधीश से उठाया है लेबर होस्टल का मामला

इस बारे हिमाचल चैंबर ऑफ कॉमर्स सिरमौर चैप्टर के अध्यक्ष सतीश गोयल बताते हैं कि चैंबर ने कई बार जिलाधीश सिरमौर के साथ हुई बैठक में लेबर होस्टल का मुद्दा उठाया है, लेकिन इस पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में वह ईएसआई प्रशासन को बार-बार स्वास्थ्य सेवाएं सुदृढ़ करने को कह चुके हैं।