अरोमा मिशन…एक हेक्टेयर से डेढ़ लाख रुपए का प्रोफिट

पालमपुर – सीएसआईआर के अरोमा मिशन के अंतर्गत ‘प्रोफिटेबल अरोमेटिक क्राप्स फॉर अनहेंसिंग फार्म इन्कम’ की सोच के तहत वैज्ञानिकों ने हिमाचल प्रदेश व साथ लगते क्षेत्रों के किसानों के लिए योजना बनाई है। प्रदेश की भौगोलिक स्थितियों को ध्यान में रखकर अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग किस्मों के सुगंध पौधे लगाने पर विचार किया गया है। वैज्ञानिकों ने जिला ऊना व मैदानी इलाकों के लिए लेमन ग्रास सबसे लाभदायक मानी है, तो मध्यवर्ती इलकों के लिए जंगली गेंदा उगाने के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जाएगा। अरोमा मिशन के तहत अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में थिमसिंगली और जटामांसी जैसे पौधों को आय के लिए अच्छा माना गया है। मिशन के तहत सीएसआईआर संस्थान ने प्रमुख रूप से इस बात पर ध्यान दिया है कि एक हेक्टेयर क्षेत्र में सुगंध पौधे लगाने वाले किसानों को कम से कम डेढ़ लाख रुपए का लाभ हो। वहीं, प्रदेश में डमस्क रोज के फूलों की खेती को भी किसानों के लिए काफी फायदेमंद माना गया है। सीएसआईआर संस्थान के वैज्ञानिकों ने गुलाब की हिमरोज, ज्वाला, नूरजहां, रानी साहिबा, जंगली गेंदा की हिम गोल्ड, जटामांसी की हिमबाला, थिमसिंगली की हिम सुरभ, लेमन ग्रास की कृष्णा व शेखर आदि अनेक किस्में विकसित की हैं। इनके साथ ही क्षेत्र में लैवेंडर सी वार्मवुड की खेती को  प्रोत्साहित किया जा रहा है।

दस डिस्टिलेशन यूनिट स्थापित करेगा संस्थान

सुगंध पौधों से निकलने वाला तेल काफी लाभदायक है और इसकी बाजार में बहुत मांग है। इन फूलों से निकलने वाले तेल को अच्छे दाम भी मिल जाते हैं। किसानों को फूलों से तेल निकालने में परेशानी न आए इसके लिए सीएसआईआर संस्थान इस साल प्रदेश में विभिन्न स्थानों पर दस डिस्टिलेशन यूनिट स्थापित करने में सहयोग करेगा। इन इकाइयों में अढ़ाई से चार लाख क्विंटल तेल निकालने की क्षमता होगी।