आनंद को जमानत, पूर्व बागबानी निदेशक पर शिकंजा

वीरभद्र सिंह के एलआईसी एजेंट मनी लाड्रिंग केस में डेढ़ साल से थे न्यायिक हिरासत में, पटियाला हाउस कोर्ट ने दी राहत

दिल्ली— अंततः डेढ़ वर्ष की हिरासत के बाद मनी लाड्रिंग मामले में पकड़े गए आनंद चौहान को नियमित जमानत मिल गई है। वीरभद्र सिंह के पूर्व एलआईसी एजेंट आनंद चौहान के लिए नया वर्ष यह खुशी लेकर आया है कि उन्हें मंगलवार को ही नियमित जमानत मिली है। पिछले वर्ष 9 जुलाई को उन्हें चंडीगढ़ से सीबीआई ने हिरासत में लिया था। मंगलवार को उन्हें दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट से जमानत मिल गई।  इससे पूर्व आनंद चौहान को पिछले वर्ष नवंबर महीने में 10 दिन की अंतरिम जमानत दी गई थी। वह भी इसलिए क्योंकि उन्हें भानजी की शादी में आना जरूरी था। इसके बाद फिर उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था।  आनंद चौहान के वकील ने अदालत में नियमित बेल के लिए याचिका लगा रखी थी। इस याचिका की सुनवाई के बाद मंगलवार को दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में विशेष जज (सीबीआई) के अदालत से आनंद चौहान को जमानत दे दी। मनी लांड्रिंग मामले में हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह भी जांच के दायरे में है। फिलहाल मनी लाड्रिंग मामले में हिरासत में चल रहे आनंद चौहान को नियमित जमानत मिल गई है।

दो करोड़ रिश्वत मामले में प्रदेश सरकार ने विजिलेंस को दिए जांच के आदेश

शिमला— पूर्व सरकार के समय में रहे एक बागबानी निदेशक के खिलाफ विजिलेंस जांच के आदेश दिए गए हैं। सरकार ने निदेशक के खिलाफ जांच यह आदेश दिए हैं। पूर्व निदेशक के खिलाफ सीए स्टोर की सबसिडी रिलीज करने की एवज में दो करोड़ रुपए की रिश्वत मांगने के गंभीर आरोप हैं। हालांकि इस बारे में कोल्ड स्टोर मालिक ने तत्कालीन कांग्रेस सरकार को भी शिकायत दी थी, लेकिन सरकार ने जांच करने की बजाय शिकायत को दबाए रखा। प्रदेश सरकार ने बागबानी विभाग के एक पूर्व निदेशक के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं। आरोप है कि उक्त अधिकारी ने एक सेब के सीए स्टोर की सबसिडी रिलीज करवाने को लेकर दो  करोड़ रुपए की रिश्वत मांगी थी। इस बारे में सीए स्टोर के मालिक ने सरकार से शिकायत की थी। यह मामला कोटखाई के बलघार में एक सीए स्टोर की सबसिडी को रिलीज करने का है। यहां जालंधर के एक व्यवयासी ने पांच हजार मीट्रिक टन का सीए स्टोर तैयार किया है। सीए स्टोर बागबानी मिशन के तहत तहत बनाया गया है, जिस पर करीब 29 करोड़ रुपए की लागत आई। इस स्टोर पर केंद्र सरकार की ओर से बागबानी मिशन के तहत करीब 14.26 करोड़ की सबसिडी दी जानी थी।   इसके लिए केंद्र की ओर से करीब 11.5 करोड़ रुपए की सबसिडी जारी की गई थी। । बताया जा रहा सबसिडी जारी करने के लिए तत्कालीन बागबानी निदेशक, जिनके पास बागबानी मिशन के प्रोजेक्ट निदेशक का अतिरिक्त कार्यभार भी था, ने एक संयुक्त  निरीक्षण टीम बनाकर मार्च माह में सीए स्टोर का निरीक्षण किया, लेकिन इसके बाद भी काफी समय तक सबसिडी जारी नहीं की गई। इस पर मालिक ने इसकी शिकायत सरकार से की थी। इसमें मालिक ने आरोप लगाया था कि संयुक्त निरीक्षण टीम ने कोई आपत्ति सीए स्टोर को लेकर नहीं लगाई और न ही इसकी सबसिडी रिलीज की है।  वहीं व्यवसायी ने शिकायत में आरोप लगाया कि पूर्व बागबानी निदेशक ने जान-बूझकर सीए स्टोर की सबसिडी रिलीज नहीं की थी और इसको जारी करने की एवज में दो करोड़ रुपए की रिश्वत मांगी गई थी। यही नहीं, इसकी शिकायत विजिलेंस से भी की गई थी। बताया जा रहा है कि विजिलेंस भी अपनी ओर अधिकारी के खिलाफ जांच शुरू नहीं कर पाई थी और जांच एजेंसी ने इस मामले को तत्कालीन सरकार के समक्ष रखा था, लेकिन सरकार ने जांच करने की अनुमति नहीं दी और इस मामले की जांच लंबित रखा। वहीं अब राज्य में जबकि नई सरकार बनी है तो अधिकारी के खिलाफ जांच के आदेश दिए गए हैं।