ईडीसी में की जाए कटौती

क्रेडाई के हरियाणा चैप्टर ने प्रदेश सरकार से रखी मांग

चंडीगढ़— रियल एस्टेट बिल्डर्स बॉडी-कान्फेडरेशन ऑफ रियल एस्टेट डिवेलपर्स एसोसिएशन ऑफ  इंडिया, क्रेडाई के हरियाणा चैप्टर ने सरकार से मांग की है कि शहरी क्षेत्रों में बाहरी विकास प्रभार, एक्सटर्नल डिवेलपमेंट चार्ज-ईडीसी में कमी की जाए। सरकार को ईडीसी का भुगतान बाहरी संरचनाओं के विकास के लिए किया जाता है,  जिसमें सड़कें, सीवरेज, डऊनेज, ग्रीन बेल्ट, खुले क्षेत्र और ऐसी अन्य संरचनाएं शामिल हैं। क्रेडाई-हरियाणा के नवनिर्वाचित अध्यक्ष कुशाग्र अंसल ने कहा कि हरियाणा राज्य में ईडीसी बहुत ज्यादा है और इसे तर्कसंगत बनाने की आवश्यकता है। ईडीसी ब्याज-रहित किस्तों में देय होना चाहिए, क्योंकि ईडीसी के लिए किए जाने वाले कार्य लाइसेंस की तारीख तक पूरे नहीं होते हैं। बिल्डर एसोसिएशन ऑफ  हरियाणा चैप्टर ने इस बात पर जोर दिया कि ईडीसी विकास कार्य की प्रगति के दौरान किश्तों में देय होना चाहिए। यह एक महत्त्वपूर्ण मुद्दा है और ईडीसी को तर्कसंगत बनाना तथा किश्तों में ब्याज में छूट देना अनिवार्य है। ईडीसी ब्रेकअप कंपोनेंट और कंपोनेंट की डुप्लीसिटी पर भी चर्चा की गई और उल्लेख किया गया कि ईडीसी के कंपोनेंटस में डुप्लीसिटी के बावजूद प्रशासनिक व्यय में एक अवयव है, जो 49 फीसदी के समकक्ष है। गुरुग्राम के डिवेलपर्स के लिए क्रॉस-लिंकिंग एक और मुद्दा है। वर्तमान में सरकार ने विशेष डिवेलपर के लिए ईडीसी बकाया को क्रॉस लिंक किया है और डिवेलपर को कोई नए लाइसेंस जारी नहीं किए जा रहे हैं, अगर मौजूदा लाइसेंस के संदर्भ में ईडीसी बकाया हो। क्रेडाई हरियाणा का मानना है कि ईडीसी बकाया की क्रॉस-लिंकिंग राज्य में काम करने के लिए हानिकारक हो सकती है। नवनिर्वाचित कार्यकारी परिषद के सदस्यों ने भी 24 मीटर रोड के मुद्दे पर चिंता जताई। वर्तमान में नए क्षेत्रों में 24 मीटर की सड़कें विकसित की जा रही हैं।