दिल्ली में 26 जनवरी को राजपथ पर दिखेगी स्पीति के बौद्ध मठ की झलक
2017 में चंबा रूमाल का हुआ था चयन
वर्ष 2017 में गणतंत्र दिवस परेड में हिमाचल की झांकी चंबा रूमाल पर निकाली गई थी। बीते वर्ष चार वर्षों के लंबे अंतराल के बाद हिमाचली झांकी को गणतंत्र दिवस की परेड में जगह मिली है। अब इस वर्ष की गोंपा के चयन पर हिमाचल को बड़ा सम्मान मिला है।
वर्ष 2013 में किन्नौर की थी झांकी
गणतंत्र दिवस पर वर्ष 2013 में किन्नौर पर झांकी प्रदर्शित की गई थी। इसे पूर्व 2007 में भी हिमाचल से दिल्ली में गणतंत्र दिवस पर झांकी निकाली गई थी। पिछले चार वर्षों तक हिमाचली झांकी को गणतंत्र दिवस पर जगह नहीं मिल पाई थी। अब लंबे अंतराल के बाद हिमाचली झांकी को जगह मिली है।
शंक्वाकार चट्टान पर स्थापित
‘की’ गोंपा मठ काजा से 12 किलोमीटर की दूर है, जिसकी समुद्र तल से ऊंचाई 13504 फुट है। यह शंक्वाकार चट्टान पर बना है। मठ में प्राचीन हस्त लिपियों के साथ कुछ हथियार भी रखे गए हैं। हर वर्ष यहां ‘चाम’ उत्सव मनाया जाता है।
लेह के थिकसे मठ जैसा दिखता है
‘की’ मठ की स्थापना 13वीं शताब्दी में हुई थी। यह स्पीती क्षेत्र का सबसे बड़ा मठ है, जो कि दूर से लेह के थिकसे मठ जैसा लगता है। शंक्वाकार चट्टान पर निर्मित इस मठ के बारे में स्थानीय लोगों का मानना है कि इसे रिंगछेन संगपो ने बनवाया था। यह मठ महायान बौद्ध के जेलूपा संप्रदाय से संबंधित है। इस मठ पर 19वीं शताब्दी में सिखों तथा डोगरा राजाओं ने आक्रमण भी किया था। इसके अलावा यह 1975 में आए भूकंप में भी सुरक्षित रहा। यहां कुछ हथियार भी रखे हुए हैं। वर्ष 2000 के कालचक्र अभिषेक का आयोजन इसी मठ में किया गया था, जिसमें स्वयं दलाईलामा द्वारा पूजा अर्चना की गई थी।