गेयटी में ठुनियानामा

शिमला — शिमला के ऐतिहासिक गेयटी थियेटर में शनिवार को अभिनय दर्पण द्वारा नाटक का मंचन किया गया। यह नाटक ठुनियारामा जिसका मंचन कलाकारों ने गेयटी में किया वो  करियाला शैली पर आधारित रहा। इस नाटक में बताया गया कि किस तरह एक आम आदमी व्यवस्था के नीचे पिसता है। रत्न सिंह हिमेश द्वारा लिखित और प्रीतम शर्मा द्वारा निर्देशित इस करियाला का आयोजन भारत सरकार के सांस्कृतिक मंत्रालय व अभिनय दर्पण के संयुक्त तत्वाधान में  किया गया। ठुनियानामा हिमेश सिंह रत्न की 1976 में लिखी रचना है, जो एक वृद्ध ग्रामीण की कहानी है, जिसका नाम ठुनियाराम है। ठुनियानामा वास्तविक जीवन में एक मेहनती और ईमानदार आदमी है। ठुनियाराम की बीबी का नाम है कुब्जा। उन दोनों की कोई औलाद नहीं है, बस शहर में एक भतीजा है दौलत राम जिसे वह प्यार से दौलतू कहता है। ठुनियाराम मुर्गी पालन का व्यवसाय करता है, लेकिन गांव के पटवारी, फारेस्ट गार्ड जैसे अनेक लोग उससे मुर्गें और अंडे ले जाते हैं और उसका मुर्गी खाना घटने लगता है। उसे उसके भतीजे दौलतराम की चिट्ठी आती है, जिसमें दौलतराम उसे शहर बुलाता है। ठुनिया राम शहर जाता है। पहली बार शहर देखकर वह हैरान हो जाता है। लोगों से पता पूछ कर दौलत राम के घर पहुंचता है। दौलत राम के घर पर टीवी, फ्रिज, गीजर जैसी चीजें देखकर हैरान होता है। गांव में न चाहते हुए भी सब उसके भोलेपन का लाभ उठाते है जो दर्शकों को हास्य रस देता है। उसी प्रकार शहर के लोगों और वहां की आधुनिक वस्तुओं पर ठुनिया राम की टिप्पणी भी दर्शकों को हंसने पर मजबूर करती है। ठुनियाराम का सपना है कि उसके गांव में स्कूल हो, जिसके लिए वह अपनी जमीन भी देने को तैयार है। ये बता दौलतराम को बताता है तो दौलतराम उसका सपना पूरा करने का वचन देता है। जीवन को खुशी से जीना और सबकी खुशी के लिए जीना ही इस कहानी की सीख है।