जीएसटी दर बढ़ाने का मसला एजेंडे से बाहर

By: Jan 19th, 2018 12:15 am

प्रदेश के कारोबारी 20 लाख चाहते हैं सीमा, पर दिल्ली की बैठक में नहीं उठा मुद्दा

शिमला— जीएसटी की दरें 10 लाख से बढ़ाकर 20 लाख करने का मामला गुरुवार की जीएसटी काउंसिल बैठक के एजेंडे में ही नहीं था। बताया जाता है कि इसके लिए पहले जीएसटी से संबंधित एक्ट में संशोधन करना अनिवार्य होगा। इसी के बाद इस बारे में फैसला लिया जा सकता है। विशेष श्रेणी राज्यों ने इस मामले में जीएसटी की सीमा बढ़ाए जाने की मांग केंद्रीय वित्त मंत्रालय से कर रखी है। हिमाचल की भी यह मांग है। अब जीएसटी काउंसिल की आगामी बैठक से पहले यदि ऐसा संशोधन संभव होता है, तभी यह राहत कारोबारियों को मिल सकती है, वरना इसके लिए उन्हें और इंतजार करना पड़ सकता है। हिमाचल में यह मामला विधानसभा चुनावों के दौरान खूब गरमाया था। कांग्रेस ने इस पर राजनीति चमकाने का खूब प्रयास किया। कारोबारियों को भी प्रभावित करने की कसरतें चलती रहीं। यहां तक कि कांग्रेस के जितने भी केंद्रीय नेता हिमाचल में चुनाव प्रचार के लिए आए, उन्होंने जीएसटी को मुख्य हथियार के तौर पर प्रयोग करते हुए कारोबारियों का बड़ा वोट बैंक अपनी तरफ करने का पुरजोर प्रयास किया, मगर ऐसा नहीं हो सका और भाजपा बहुमत से भी आगे 44 का आंकड़ा लेकर विधानसभा पहुंची, जबकि कांग्रेस 21 तक ही सिमट गई। भाजपा के नेताओं ने नतीजों के बाद कांग्रेस पर पलटवार करते हुए कहा था कि यदि जीएसटी का प्रभाव होता तो भाजपा बहुमत से आगे भी न बढ़ती। बावजूद इसके भाजपा के शीर्ष नेताओं ने प्रदेश में चुनाव प्रचार के दौरान ही कारोबारियों से वायदा किया था कि सत्ता में आने पर जीएसटी की सीमा 10 लाख से बढ़ाकर 20 लाख करने की जंग लड़ी जाएगी। यही नहीं केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली जब भाजपा का दृष्टिपत्र जारी करने के लिए शिमला आए थे तो उन्होंने भी यह कहा था कि यदि प्रदेश सरकार इस बारे में सिफारिश करेगी तो उस पर गंभीरता से विचार किया जाएगा। बहरहाल, कारोबारियों को अब जीएसटी की दर बढ़ने का इंतजार रहेगा।

पहले उठाया है मसला

सूत्रों के मुताबिक व्यक्तिगत तौर पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने प्रदेश सरकार की तरफ से यह मुद्दा केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली से उठाया है। उन्होंने उचित अवसर पर प्रदेश सहित अन्य विशेष श्रेणी राज्यों को राहत देने का आश्वासन दिया है।


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