तपोवन में शपथ लेने वाले पम्मी पहले सरदार

धर्मशाला— तपोवन विधानसभा में इस सत्र के दौरान पहली बार  सरदार विधायक ने शपथ ग्रहण की। इस ऐतिहासिक पल का ताज दून के विधायक परमजीत सिंह पम्मी के सिर सजा। पम्मी शीतकालीन राजधानी में शपथ लेने वाले पहले सरदार हैं। वर्ष 2007 से तपोवन विधानसभा परिसर में विधायक शपथ ग्रहण कर रहे हैं, लेकिन एक भी सरदार विधायक जीतकर विधानसभा नहीं पहुंच पाया। श्री पम्मी दून विधानसभा क्षेत्र से पूर्व विधायक लज्जा राम के बेटे राम कुमार को हराकर विधानसभा पहुंचे हैं। हिमाचल विधानसभा में पहली बार गेहड़वीं विधानसभा क्षेत्र से वचित्र सिंह चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे। उन्होंने 1977 में जनता पार्टी से चुनाव जीता था। इसके बाद गेहड़वी क्षेत्र से 1982 में वचित्र सिंह को टिकट नहीं दिया गया और 1985 में वह बतौर आजाद प्रत्याशी मैदान में उतरे, उन्हें मात्र 499 मत प्राप्त हुए। इस चुनाव में उनकी जमानत जब्त हुई और राजनीतिक कैरियर भी समाप्त हो गया। गेहड़वीं अब झंडूता विधानसभा के नाम से जानी जाता है। हिमाचल प्रदेश विधानसभा में 1998 में भाजपा के टिकट पर दूसरी बार नालागढ़ से हरिनारायण सिंह चुने गए। हरिनारायण सिंह को पहली जीत के बाद ही शहरी विकास एवं नगर नियोजन मंत्री बनाया था, लेकिन 2001 में अपनी ही भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री  प्रेम कुमार धूमल के खिलाफ आवाज उठाने से इन्हें मंत्री पद से हटा दिया गया। इसके बाद हरिनारायण सैणी 2003 और 2007 में भी विधायक रहे। वर्ष 2011 में हरिनारायण सिंह का बतौर विधायक ही बिमारी के चलते देहांत हो गया। इसके बाद उपचुनाव में हरिनारायण की पत्नी गुरनाम कौर चुनाव हार गईं। इस बार दून विधानसभा क्षेत्र से परमजीत सिंह पम्मी ने भाजपा की टिकट से जीत दर्ज कर हिमाचली राजनीति में तीसरे सरदार विधायक के रूप में एंट्री मारी है। कांग्रेस पार्टी अभी तक प्रदेश में एक भी सरदार विधायक नहीं दे पाई है। इसके साथ ही आजाद उम्मीदवार भी जीतकर नहीं पहुंचा है।

भाजपा ने ही दिए सरदार

परमजीत सिंह पम्मी गैर राजनीतिक परिवार से संबंध रखते हैं, लेकिन उन्होंने दून की राजनीति के बड़े परिवार के उम्मीदवार को हराया है। हिमाचली राजनीति में शुरुआती दौर में जनता दल व अब भाजपा से ही सरदार विधायक चुनकर विधानसभा पहुंचे हैं। परमजीत सिंह पम्मी ने ‘दिव्य हिमाचल’ को विशेष बातचीत में बताया कि मेरा सौभाग्य है कि ऐसा संयोग बना है।