दिल्ली से हिमाचल तक हो रही लॉबिंग

शीतकालीन सत्र के बाद बोर्ड-निगमों में सजेंगे ऊंचे पद

शिमला – हिमाचल प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र के बाद जयराम सरकार बोर्ड-निगमों में अध्यक्ष व उपाध्यक्ष पद भरने की तैयारी कर रही है।  इस बाबत दिल्ली से हिमाचल तक विधायक व पार्टी के वरिष्ठ नेता अपने पक्ष की जबरदस्त लॉबिंग में जुटे हैं। कांग्रेस सरकार में गठित हुए निदेशक मंडल बर्खास्त हो चुके हैं। जाहिर तौर पर अब निदेशक मंडल का सदस्य बनने के लिए भी मझोले स्तर के नेता वरिष्ठ नेताओं ंपर दबाव बना रहे हैं। इस बार भाजपा को विधानसभा चुनावों में 44 सीटें हासिल हुई है। मुख्यमंत्री समेत 12 मंत्री ही मंत्रिमंडल में शामिल हुए हैं। कानूनन भी यही सीमा है। इससे हट कर मंत्रिमंडल में कोई और सदस्य नहीं बन पाएगा, जबकि कई वरिष्ठ विधायक अभी भी इस बात के इंतजार में है कि उन्हें कोई ऊंचा राजनीतिक ओहदा मिलेगा, जिससे उनके चुनाव क्षेत्र के साथ-साथ जिले में भी उनका रुतबा बढ़ सके। सूत्रों के मुताबिक भाजपा इन दिनों संघ के प्रमुख नेताओं के साथ मिलकर ऐसे ही कई नेताओं की फेहरिस्त तैयार करने में जुटी है। दावा यही है कि विधानसभा के शीतकालीन सत्र के तुरंत बाद सिलसिलेवार तरीके से ऐसे ज्यादातर पद भर दिए जाएंगे।

महत्त्वपूर्ण बोर्ड-निगम

एचआरटीसी, एचपीटीडीसी,   वन निगम, एचपीएसआईडीसी, मिल्क फेडरेशन, बिजली बोर्ड, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, खादी बोर्ड, हिमफेड, सिविल सप्लाई निगम, राज्य सहकारी बैंक, कांगड़ा सहकारी बैंक, ग्रामीण बैंक,  एचपीएमसी, इलेक्ट्रॉनिक्स निगम, एग्रो इंडस्ट्रीज कारपोरेशन, वित्त निगम, जीआईसी, अनुसूचित जाति, जनजाति विकास निगम, हिमुडा, वूल फेडरेशन, अनुसूचित जाति वित्त व विकास निगम, हिमाचल प्रदेश मार्केटिंग बोर्ड, प्रदेश पिछड़ा वित्त व विकास निगम, ऊर्जा निगम, इन्फ्रास्ट्रक्चर डिवेलपमेंट बोर्ड, कामगार कल्याण बोर्ड और महिला आयोग और बाल कल्याण काउंसिल ऐसे प्रमुख अदारे हैं, जहां सिलसिलेवार तरीके से पद भी भरे जाने हैं और निदेशक मंडल के सदस्य भी चुने जाने हैं।

सीपीएस-पीएस को दबाव

अरसे से संगठन में सेवाएं देते रहे नेता जो विधायक बनें हैं, वे दबाव डाल रहे हैं कि सीपीएस व पीएस की नियुक्तियां भी की जाएं। इस बारे मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने भी संकेत दे रखे हैं कि कदम उठाए जा सकते हैं। अब देखने वाली बात होगी कि छूट चुके जिलों को कौन से प्रभावी पदों से नवाजा जाता है।