धर्मशाला को दो पद्मश्री से हिमाचल प्रदेश गदगद

By: Jan 28th, 2018 12:15 am

धर्मशाला — प्रदेश के धर्मशाला की दो विभूतियों को पद्मश्री सम्मान मिलने से पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश गौरवान्वित हुआ है। प्रदेश के सबसे बड़े जिला कांगड़ा से ही अब तक पांच लोगों को अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर के सम्मान प्राप्त हो चुके हैं। इसमें   तिब्बती चिकित्सक डा. यशी ढोंडेन और भू-विज्ञानी डा. विक्रम ठाकुर का नाम शुमार है। इससे पहले जिला कांगड़ा के धर्मशाला-मकलोडगंज में रहने वाले दलाईलामा को विश्व शांति के लिए 1989 में नोबेल पुरस्कार मिला था। पालमपुर के अंद्रेटा के सरदार सोभा सिंह को वर्ष 1983 में पद्मश्री और डा. क्षमा मैत्रे को वर्ष 2008 में पद्मश्री का सम्मान मिला था। अब पद्मश्री पाने वालों में पहला नाम धर्मगुरु दलाईलामा के निजी चिकित्सक रहे डा. यशी ढोंडेन का है, जिन्हें तिब्बती आयुर्वेद पद्धति में हासिल की गई उपलब्धियों के लिए भारत सरकार ने नवाजा है। भारत सरकार की ओर से 91 वर्षीय डा. यशी को तिब्बती आयुर्वेद पद्धति के सहारे कैंसर जैसी भयावह बीमारी के उपचार में निभाई गई अहम भूमिका और इस पद्धति में किए गए शोध कार्यों के चलते इस सम्मानीय सम्मान से नवाजा गया है। पद्मश्री के लिए चुने जाने के बाद डा. यशी ने भारत सरकार का आभार जताया है। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ मेरे लिए ही नही बल्कि पूरे तिब्बती समुदाय के लिए  व प्रदेश के लिए गर्व की बात है।  दूसरा नाम मूल रूप से धर्मशाला अपर श्यामनगर के रहने वाले डा. विक्रम ठाकुर का है। पूर्व में वाडिया इंस्टीच्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी, देहरादून के निदेशक रहे डा. विक्रम ठाकुर ने भू-विज्ञान क्षेत्र में विभिन्न शोध सहित भूकंप अध्ययन के क्षेत्र में विशेष कार्य किया है। उन्होंने पदमश्री के लिए भारत सरकार का आभार जताते हुए कहा कि उनके लिए यह गौरव की बात है। डा. विक्रम ने धर्मशाला महाविद्यालय से भू-विज्ञान की पढ़ाई करने के बाद पंजाब विश्वविद्यालय से पीएचडी की और बाद में लंदन से भी शिक्षा ग्रहण की। डा. विक्रम के माता पहले धर्मशाला में रहते थे ,लेकिन डा. विक्रम उत्तराखंड के देहरादून में बस गए हैं।


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