धार्मिक व वैचारिक तानाशाही के खिलाफ थे अंबेडकर

धर्मशाला – डा. भीमराव रामजी अंबेडकर जीवन भर धार्मिक और वैचारिक तानाशाही के खिलाफ संघर्षरत रहे। आज जो लोग राजनीतिक क्षेत्र में भीम-मीम का नारा दे रहे हैं उन्हें बाबा साहेब के राजनीतिक चिंतन का शुरुआती ज्ञान भी नहीं है। बाबा साहेब इस्लाम को धार्मिक तानाशाही और साम्यवाद को वैचारिक तानाशाही का प्रतीक मानते थे। इसीलिए उनका  राजनीतिक चिंतन इन दोनों पक्षों का तीखा विरोध करता है। यह बातें शनिवार को केंद्रीय विवि में आयोजित सम्राट ललितादित्य ब्याख्यानमाला के दौरान दिल्ली विश्वविद्यालय के सहायक आचार्य डा. प्रकाश कुमार पटेल ने कही। वह डा. अंबेडकर का राजनीतिक चिंतन विषय पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि आज की अंबेडकर वादी राजनीति लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर कर रही है। इसके उलट बाबा साहेब इन संस्थाओं को मजबूत बनाए रखने के पक्षधर थे।  इस मौके पर अंबेडकर पीठ के प्रो. बलवान गौतम, व्याख्यानमाला के संयोजक डा. जय प्रकाश सिंह व डा. मोनिका सहित विवि के शोधार्थी तथा विद्यार्थी मौजूद थे