जयराम सरकार ने पलटा कांग्रेस का फैसला; महेश्वर बोले, कुल्लूवासियों की जीत
रघुनाथजी के सम्मान में दशहरा
रघुनाथजी के सम्मान में राजा जगत सिंह ने वर्ष 1660 में कुल्लू में दशहरा उत्सव मनाने की परंपरा शुरू की। तभी से भगवान रघुनाथ की प्रधानता में कुल्लू के हर छोर से पधारे देवी-देवताओं का महासम्मेलन यानी दशहरा उत्सव का आयोजन अनवरत चला आ रहा है।
मंदिर से कई बार हुई चोरियां
भगवान रघुनाथ के मंदिर में वर्ष 2014 में चोरी हुई थी। उस दौरान लगभग 40 किलोग्राम चांदी और सोने के आभूषण, चरण पादुका, झारियां, कटोरे, आचवनी, आरती की कटोरियां, अर्ग पात्र, कलश स्टैंड आदि सामान चोरी गया था। मंदिर से 400 साल पुरानी जो मूर्तियां चोरी हो गई थीं, वे अयोध्या से लाई गई थीं। इनमें पवित्र अष्टधातु की रघुनाथ की मूर्ति, शालीग्राम, हनुमान और गणेश की मूर्ति शामिल थी। बाद में पुलिस ने मूर्तियां बरामद कर लीं। इसके बाद दिसंबर, 2015 में बसंत पंचमी में होने वाली रथ यात्रा से ठीक एक दिन पहले रधुनाथ मंदिर से एक साथ चोरी हुई तीन अन्य मूर्तियों भी पुलिस ने बजौरा व सरवरी नदी के किनारे से बरामद कीं।
सक्रिय हो गया था ट्रस्ट
महेश्वर सिंह की याचिका हाई कोर्ट में खारिज होने के बाद रघुनाथ मंदिर ट्रस्ट सक्रिय हो गया था। प्रदेश सरकार ने 25 जुलाई, 2016 को फैसला लिया कि रघुनाथ मंदिर को ट्रस्ट के अधीन लाया जाए, यानी मंदिर का सरकारीकरण किया जाए। यह जीत देव समाज व देवता कारदार संघ की है। सभी के आशीर्वाद से ही यह संभव हो पाया है। मुख्यमंत्री सहित मंत्रिमंडल का धन्यवाद महेश्वर सिंह, छड़ीबरदार, भगवान रघुनाथजी