नई सरकार ने खुश कर दिया देव समाज, भगवान रघुनाथ अधिग्रहण से आजाद

जयराम सरकार ने पलटा कांग्रेस का फैसला; महेश्वर बोले, कुल्लूवासियों की जीत

कुल्लू— मंत्रिमंडल की बैठक में कुल्लू के रघुनाथ मंदिर का अधिग्रहण रद्द कर देने से देव समाज में खुशी की लहर है। पूर्व कांग्रेस सरकार ने मंदिर अधिग्रहण को मंजूरी दी थी, जिस पर काफी विवाद भी हुआ। कुल्लू का देव समाज व रघुनाथजी के भक्त भी पूर्व सरकार के फैसले से उदास हो गए थे और महेश्वर सिंह मामले को न्यायालय में ले गए थे। अब गुरुवार को हुई कैबिनेट मीटिंग में मंदिर अधिग्रहण रद्द कर देने से कुल्लू की जनता में खुशी की लहर है। जनता ने आभार जताते हुए कहा है कि मुख्यमंत्री ने यह साबित कर दिया है कि वह किस तरह से देव समाज में आस्था रखते हैं। मंत्रिमंडल का फैसला सराहनीय है। बता दें कि भगवान रघुनाथजी का मंदिर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध है। कुल्लू का ऐतिहासिक दशहरा उनके आगमन के बिना शुरू नहीं होता। उत्सव के दौरान भगवान रघुनाथ के दर्शन के लिए देश-विदेश से लोग आते हैं। भगवान इस दौरान भव्य रथ रथ में सवार होते हैं। इस उत्सव का आयोजन 17वीं शताब्दी में कुल्लू के राजा जगत सिंह के शासनकाल में आरंभ हुआ था। भगवान रघुनाथ जी की मूर्ति को आयोध्या से लाया गया था और वर्ष 1653 में मणिकर्ण मंदिर में रखा गया। इसके बाद वर्ष 1660 में इसे पूरे विधि-विधान से कुल्लू के रघुनाथ मंदिर में स्थापित किया गया। राजा ने अपना सारा राज-पाठ भगवान रघुनाथ के नाम कर दिया तथा स्वयं उनके छड़ीबदार बने। कुल्लू के 365 देवी-देवताओं ने भी रघुनाथजी को अपना इष्ट मान लिया। इससे राजा को कुष्ठ रोग से मुक्ति मिल गई।

रघुनाथजी के सम्मान में दशहरा

रघुनाथजी के सम्मान में राजा जगत सिंह ने वर्ष 1660 में कुल्लू में दशहरा उत्सव मनाने की परंपरा शुरू की। तभी से भगवान रघुनाथ की प्रधानता में कुल्लू के हर छोर से पधारे देवी-देवताओं का महासम्मेलन यानी दशहरा उत्सव का आयोजन अनवरत चला आ रहा है।

मंदिर से कई बार हुई चोरियां

भगवान रघुनाथ के मंदिर में वर्ष 2014 में चोरी हुई थी। उस दौरान लगभग 40 किलोग्राम चांदी और सोने के आभूषण, चरण पादुका, झारियां, कटोरे, आचवनी, आरती की कटोरियां, अर्ग पात्र, कलश स्टैंड आदि सामान चोरी गया था। मंदिर से 400 साल पुरानी जो मूर्तियां चोरी हो गई थीं, वे अयोध्या से लाई गई थीं। इनमें पवित्र अष्टधातु की रघुनाथ की मूर्ति, शालीग्राम, हनुमान और गणेश की मूर्ति शामिल थी। बाद में पुलिस ने मूर्तियां बरामद कर लीं। इसके बाद दिसंबर, 2015 में बसंत पंचमी में होने वाली रथ यात्रा से ठीक एक दिन पहले रधुनाथ मंदिर से एक साथ चोरी हुई तीन अन्य मूर्तियों भी पुलिस ने बजौरा व सरवरी नदी के किनारे से बरामद कीं।

सक्रिय हो गया था ट्रस्ट

महेश्वर सिंह की याचिका हाई कोर्ट में खारिज होने के बाद रघुनाथ मंदिर ट्रस्ट सक्रिय हो गया था। प्रदेश सरकार ने 25 जुलाई, 2016 को फैसला लिया कि रघुनाथ मंदिर को ट्रस्ट के अधीन लाया जाए, यानी मंदिर का सरकारीकरण किया जाए। यह जीत देव समाज व देवता कारदार संघ की है। सभी के आशीर्वाद से ही यह संभव हो पाया है। मुख्यमंत्री सहित मंत्रिमंडल का धन्यवाद महेश्वर सिंह, छड़ीबरदार, भगवान रघुनाथजी