नहाई को सौंपे फोरलेन

             धर्मशाला-शिमला                                                                  पठानकोट-मंडी

हमीरपुर— राज्य की प्रस्तावित फोरलेन सड़क परियोजनाएं नेशनल हाई-वे से छिटक गई हैं। धर्मशाला-शिमला और पठानकोट-मंडी सड़क आधिकारिक रूप से नेशनल हाई-वे अथारिटीज ऑफ इंडिया (नहाई) को सौंप दिए हैं। इसके अलावा बद्दी-नालागढ़ मार्ग भी नहाई के सुपुर्द कर दिया है। शुक्रवार को नेशनल हाई-वे ने इन सड़क परियोजनाओं का तमाम रिकार्ड नहाई के हवाले कर दिया है। अब प्रत्यक्ष रूप से इन तीनों ही सड़कों का नियंत्रण केंद्र सरकार के अधीन नहाई के पास होगा। मटौर-शिमला नेशनल हाई-वे के बीच निर्माणाधीन हमीरपुर-कंदरौर डबललेन के निर्माण कार्य का जिम्मा फिलहाल एनएच के पास रहेगा। इस 45 किलोमीटर के सड़क मार्ग को छोड़कर शेष पूरा फोरलेन नहाई को सौंप दिया है। अहम है कि अब इन सड़क परियोजनाओं में यातायात से लेकर रखरखाव तक का सारा जिम्मा केंद्रीय एजेंसी नहाई के पास रहेगा। नेशनल हाई-वे राज्य सरकार का विंग है। एनएच में टॉप टू बॉटम पूरा स्टाफ हिमाचल सरकार के नियंत्रण में रहता है। इसके विपरीत नहाई का सीधा संबंध केंद्रीय भूतल एवं सड़क मंत्रालय से है। धर्मशाला-शिमला फोरलेन की डीपीआर तैयार हो चुकी है। पहले चरण में कछियारी बाईपास से लेकर हमीरपुर तक फोरलेन निर्माण के लिए टेंडर कॉल किए जा रहे हैं। इसके तहत भू-अधिग्रहण के साथ-साथ निर्माण कार्य होगा। यह फोरलेन शिमला तक पांच भागों में बांटा गया है। सड़क के हर हिस्से को 40 किलोमीटर में विभाजित कर उसका अलग टेंडर जॉब तैयार किया गया है। इसी आधार पर पठानकोट-मंडी फोरलेन को चार हिस्सों में बांटकर टेंडर प्रक्रिया की जा रही है। बद्दी-नालागढ़ फोरलेन की डीपीआर नेशनल हाई-वे ने दो साल पहले तैयार कर ली थी। केंद्रीय सड़क मंत्रालय ने फोरलेन निर्माण कार्य के लिए उसी डीपीआर को स्वीकृत करते हुए आधार मानने को कहा है। लिहाजा हिमाचल के इन तीनों प्रस्तावित फोरलेन का निर्माण कार्य अप्रैल, 2018 से आरंभ होने की संभावना है। केंद्रीय मंत्रालय के अनुसार फोरलेन कंप्लीट करने का टारगेट भी निर्धारित कर दिया गया है। अब ये सब फोरलेन निर्धारित मापदंडों के अनुसार ही निर्मित किए जा रहे हैं।

36 महीनों में काम पूरा करने का टारगेट

केंद्रीय मंत्रालय के निर्धारित मापदंडों के अनुसार 36 महीनों में इन फोरलेन का निर्माण कार्य पूरा करना होगा। खासकर धर्मशाला-शिमला और पठानकोट-मंडी फोरलेन के निर्माण पर पूरे प्रदेश की नजरें टिकी हैं। इन दोनों सड़क परियोजनाओं से प्रदेश की तसवीर और तकदीर बदल जाएगी। डीपीआर में कम से कम विस्थापन की संभावना रखी गई है। अब सड़क मार्गों पर नेशनल हाई-वे का नियंत्रण नहीं रहेगा। इसके चलतेमार्गों के छुटपुट निर्माण कार्य और तमाम तरह का दायित्व नहाई का होगा। हमीरपुर से कंदरौर तक निर्माणाधीन डबललेन के लिए नेशनल हाई-वे की जवाबदेही बनी रहेगी। बहरहाल, तीन साल के भीतर फोरलेन का काम किया जाएगा।