नौकरी के नाम पर करोड़ों हड़पे

मंडी – बेरोजगारों को नौकरी का झांसा देकर पैसे एंठने के कई मामले सामने आते रहे हैं, लेकिन इस मर्तबा नौकरी के नाम पर शातिर करोड़ों की कमाई करने लगे हुए हैं। इसके लिए ‘ग्रामीण स्मृद्धि योजना’ नाम की तथाकथित फर्जी स्कीम निकाली गई है। इस योजना के सरगना बेरजगारों से करोड़ों रुपए एंठ चुके हो सकते हैं, क्योंकि इसमें नौकरी के नाम परअभ्यर्थियों से बाकायदा अच्छा खासा शुल्क वसूला गया है। कई ऐसे बेरोजगार युवक भी हैं, जिन्होंने नौकरी की चाह में 2500 रुपए तक का शुल्क अदा कर दिया है। ग्रामीण स्मृद्धि योजना के नाम पर ठगी का सिलसिला कुछ माह पहले शुरू हुआ था। इस योजना के नाम पर पहले हिमाचल, मणिपुर व सिक्किम के युवाओं से फार्म भरवाए गए। हालांकि फार्म निःशुल्क था। इसके लिए हजारों युवा इस योजना के झांसे में आ गए। इसके बाद फार्म भरने वाले युवाओं में से 4400 बेरजगारों को दसवीं के अंकों की मैरिट लिस्ट बनाकर सिलेक्ट किए गया। सिलेक्शन के बाद सभी को बाकायदा अप्वाइंटमेंट लैटर भी भेजे गए, लेकिन इस अप्वाइंटमेंट लैटर में ही पेंच था। दरअसल, अगली काउंसिलिंग में प्रमाण पत्रों की वैरिफिकेशन के लिए अलग-अलग कैटागिरी के लिए पैसों की मांग कर दी गई। इसमें पंचायत लेवल पर अप्लाई करने वाले अभ्यर्थियों से दो हजार, अपर डिवीजन क्लर्क के लिए 2500 व डीपीओ के लिए तीन हजार रुपए मांगे गए थे। जिन अभ्यर्थियों ने यह शुल्क चूका दिया, उन्हें फिर से लैटर आया इसमें दूसरी काउंसिलिंग के बाद अभ्यर्थी से 7200 रुपए की मांग कर दी गई। इसके लिए कई अभ्यर्थियों ने पैसा भी जमा करवा दिया। इसके बाद अब मार्च में इसकी ट्रेनिंग के लिए शिमला के टुटू में बुलाया गया। जहां पता करने पर पाया गया कि यहां पांच मार्च से जीएसवाई द्वारा बैंकेट हॉल बुक है। अभी तक कुछ पता नहीं चल पाया है कि कितने युवाओं से ठगी हुई है और कितने की हुई है।

करोड़ों में हो सकता है घोटाला

‘ग्रामीण स्मृद्धि योजना’ के नाम पर युवाओं से शुल्क वसूल कंपनी फरार; मालिक कौन, कोई पता नहीं यह घोटाला करोड़ों में हो सकता है, क्योंकि सिलेक्ट होने वाले सैकड़ों अभ्यर्थी शुल्क जमा करवा चुके हैं। इस रकम को अभ्यर्थियों की संख्या से गुना करें तो इसमें करोड़ों की लूट हो सकती है। कितने अभ्यर्थियों ने शुल्क जमा करवा दिया है। यह साफ नहीं हो पाया है।

पुलिस ने जारी की एडवायजरी

ग्रामीण स्मृद्धि योजना के पूरे मामले में मंडी के पास भी शिकायतें पहुंच चुकी हैं। कंपनी का पता कोलकाता का है। इसके बाद पुलिस ने जब कंपनी की पड़ताल शुरू की, तो पुलिस को कंपनी के बारे में तो कुछ पता नहीं चल पाया। कंपनी के संचालक का नंबर भी बंद पाया गया। इसके बाद जिला पुलिस ने एडवायजरी जारी कर दी है और कहा है कि योजना में पैसे देने हैं, तो अपने विवेक से दें, क्योंकि कोई भी सरकारी एजेंसी नौकरी के लिए पैसों की मांग नहीं करती।