पतंगबाजी की मान्यता

प्राचीनकाल से ही इनसान की इच्छा रही है कि वह मुक्त आकाश में उड़े। इसी इच्छा ने पतंग की उत्पत्ति के लिए प्रेरणा का काम किया। कभी मनोरंजन के तौर पर उड़ाई जाने वाली पतंग आज पतंगबाजी के रूप में एक रिवाज, परंपरा और त्योहार का पर्याय बन गई है।

 * भारत में भी पतंग उड़ाने का शौक हजारों वर्ष पुराना हो गया है। कुछ लोगों के अनुसार पवित्र लेखों की खोज में लगे चीन के बौद्ध तीर्थयात्रियों के द्वारा पतंगबाजी का शौक भारत पहुंचा। भारत के कोने-कोने से युवाओं के साथ उम्रदराज लोग भी यहां आते हैं और खूब पतंग उड़ाते हैं।

* आज भी महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, उत्तरप्रदेश, राजस्थान और दिल्ली आदि में पतंग उड़ाने के लिए समय निर्धारित है। अलग-अलग राज्यों में पतंगों को अलग-अलग नामों से जाना जाता है।

* उत्तर भारत के लोग रक्षाबंधन और स्वतंत्रता दिवस वाले दिन खूब पतंग उड़ाते हैं। इस दिन लोग नीले आसमान में अपनी पतंगें उड़ाकर आजादी की खुशी का इजहार करते हैं।

* दिल्ली, हरियाणा, उत्तरप्रदेश तथा मध्यप्रदेश के लोग इस दिन पतंगबाजी का जमकर लुत्फ  उठाते हैं। पतंग उड़ाते और काटते समय में छोटे-बड़े के सारे भेद भूल जाते हैं। इस दिन चारों तरफ  वह काटा, कट गई,  लूटो, पकड़ो का शोर मचता है।

* गुजरात की औद्योगिक राजधानी अहमदाबाद की बात करें तो भारत ही नहीं, यह पूरे विश्व में पतंगबाजी के लिए प्रसिद्ध है। हर वर्ष 14 जनवरी को मकर संक्रांति उत्तरायण के अवसर पर यहां अंतरराष्ट्रीय पतंग महोत्सव का आयोजन होता है।