फोरलेन की जद में 922 हेक्टेयर जमीन

धर्मशाला-शिमला के लिए 50 से 70 मीटर तक किया जाएगा भूमि अधिग्रहण, 223 किलोमीटर सड़क को नए सिरे से निशानदेही

हमीरपुर – प्रदेश के पांच जिलों का संपर्क जोड़ने वाले धर्मशाला-शिमला फोरलेन के लिए 922 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण होगा। इस फोरलेन की 45 मीटर चौड़ाई होगी। इसके लिए 50 मीटर से लेकर 70 मीटर तक भूमि का अधिग्रहण किया जाएगा। मैदानी इलाकों में कम से कम 50 मीटर जमीन ही फोरलेन के लिए ली जाएगी। पहाड़ी शेप वाली जमीन का 20 मीटर ज्यादा अधिग्रहण होगा। अहम है कि मटौर-शिमला फोरलेन करीब 380 हेक्टेयर भू-खंड पर बना है। हालांकि मौके पर नेशनल हाई-वे की जमीन कम पड़ गई है। इस सड़क परियोजना पर कई हेक्टेयर जमीन पर अवैध कब्जाधारियों ने कुंडली मार ली है। अब यह सड़क परियोजना फोरलेन के सुपुर्द कर दी गई है। इसके चलते 223 किलोमीटर लंबे इस सड़क मार्ग के लिए अब नए सिरे से निशानदेही होगी। नए बाइपास निर्माण के लिए 100 फीसदी जमीन का अधिग्रहण होगा। मौजूदा नेशनल हाई-वे को फोरलेन में तबदील करने के लिए इसे कम से कम 45 मीटर चौड़ा करने का डीपीआर में प्रावधान किया गया है। इसके चलते मैदानी सड़क इलाका में 50 मीटर भूमि फोरलेन के नाम की जाएगी। सड़क मार्ग के अलावा दोनों तरफ पेबर का निर्माण होगा। इसी कारण पहाड़ी क्षेत्र में भू-अधिग्रहण किया जाएगा। बहरहाल नेशनल हाई-वे अथॉरिटी ऑफ इंडिया की टीम मटौर-शिमला फोरलेन के निर्माण के लिए टेंडर प्रक्रिया की औपचारिकताएं पूरी करने में जुट गई है। अधिकारिक सूत्रों का कहना है कि 31 मार्च तक सभी तैयारियां पूरी कर अप्रैल महीने में इस फोरलेन के निर्माण के लिए टेंडर कॉल कर लिए जाएंगे। इसी दौरान भू-अधिग्रहण की प्रक्रिया आरंभ कर दी जाएगी। केंद्रीय भू-तल एवं सड़क मंत्रालय ने अपने आदेशों में स्पष्ट किया है कि परियोजनाआें को तीन साल के भीतर पूरा करने के लिए टेंडर  प्रक्रिया के साथ भू-अधिग्रहण भी करना होगा। लिहाजा अप्रैल माह से इस फोरलेन के निर्माण के लिए बुलडोजर के साथ अवैध कब्जों पर भी नीला पंजा चलेगा। जाहिर है कि प्रदेश की दो राजधानियों को जोेड़ने वाले इस फोरलेन से कांगड़ा, हमीरपुर, बिलासपुर, सोलन और शिमला पांच जिलों को सीधा लाभ होगा। विस्थापन का दर्द भी इन्हीं जिला के भूमिधारकों को झेलना पड़ेगा।

मुआवजे के लिए दो विकल्प

भू-अधिग्रहण के लिए राज्य सरकार ने कमेटियों का गठन कर लिया है। जाहिर है कि अब फोरलेन के निर्माण के लिए 550 हेक्टेयर के करीब जमीन का और अधिग्रहण करना होगा। इसके लिए प्रभावितों को मुआवजा दिया जाएगा। इसके लिए सरकार ने दो विकल्प निर्धारित किए हैं। मार्केट वैल्यू के आधार पर विस्थापितों को इन्फ्रास्ट्रक्चर के नुकसान और जमीन का मुआवजा दिया जाए। इस पर सहमति न बनने की सूरत में राज्य सरकार द्वारा गठित की गई कमेटी मुआवजे की राशि तय करेगी। इसके लिए कमेटी तथा प्रभावितों के बीच आपसी सहमति के बाद मुआवजा राशि तय करने की व्यवस्था की गई है।