बिलासपुर में लगेगी प्रदेश की पहली गत्ता फैक्टरी

बिलासपुर— अब सरकारी क्षेत्र में हिमाचल की पहली गत्ता फैक्टरी बिलासपुर में स्थापित की जाएगी। हालांकि पहले भी सत्तर के दशक में यहां गत्ता फैक्टरी कार्यरत थी, लेकिन बाद में किन्हीं कारणों से उसे कांगड़ा जिला के बैजनाथ के लिए शिफ्ट कर दिया गया था। लेकिन अब वहां भी गत्ता फैक्टरी बंद पड़ी है। बिलासपुर दौरे के दौरान मामला ध्यान में आने के बाद प्रदेश के वन मंत्री गोविंद ठाकुर ने वन विकास निगम प्रबंधन को जल्द ही एक प्रोपेजल तैयार करने के लिए निर्देश जारी किए हैं। इस प्रोपोजल को मंजूरी के लिए बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्ज की मीटिंग में रखा जाएगा। यदि उस ओर से प्रस्ताव को मंजूरी मिलती है तो यहां गत्ता उद्योग स्थापना के लिए प्रक्रिया आरंभ की जाएगी। सूत्र बताते हैं कि हिमाचल में एकमात्र गत्ता फैक्टरी बिलासपुर में हुआ करती थी। हालांकि सत्तर के दशक में सब ठीक चल रहा था,लेकिन अस्सी के दशक में फैक्टरी किन्हीं कारणवश बंद हो गई। फिर इसे कांगड़ा जिला के बैजनाथ में स्थानांतरित कर दिया गया था, लेकिन वर्तमान में यह फैक्टरी बंद पड़ी है। अब एक बार फिर से बिरोजा एवं तारपीन फैक्टरी बिलासपुर में गत्ता उद्योग शुरू करने के लिए कवायद शुरू हो गई है। गणतंत्र दिवस समारोह के मौके पर बतौर मुख्यातिथि पधारे प्रदेश के वन एवं परिवहन मंत्री गोविंद ठाकुर ने बिरोजा एवं तारपीन फैक्टरी का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान जहां उन्होंने फैक्टरी में कमियों को दूर करने के लिए प्रबंधन वर्ग को जरूरी दिशा-निर्देश जारी किए तो वहीं, कर्मचारियों की विभिन्न मांगों को भी एक तय समयावधि के अंदर पूरा करने के लिए कहा है। इस बीच मंत्री के समक्ष यह बात भी सामने आई कि सत्तर के दशक में कार्यरत गत्ता उद्योग को एक बार फिर से शुरू किया जाए और उद्योग को पटरी पर लाने के लिए कवायद शुरू की जाए, इससे सरकार का राजस्व बढ़ेगा। वनमंत्री ने निर्देश जारी किए हैं कि जल्द से जल्द गत्ता फैक्टरी को शुरू करने के लिए प्रस्ताव तैयार किया जाए, जिसे बीओडी की मीटिंग में ले जाएंगे और वहां से स्वीकृति मिलने के बाद यहां गत्ता उद्योग स्थापना को लेकर प्रयास आरंभ किए जाएंगे। क्योंकि बिरोजा फैक्टरी में उपयक्त स्थान होने के साथ साथ शेड भी बने हैं केवलमात्र मशीनें स्थापित करने की ही देरी है ।

आग से बचे रहेंगे जंगल

गत्ता उद्योग लगने से गर्मियों के सीजन में आगजनी की घटनाओं से भी जंगल सुरक्षित हो जाएंगे। क्योंकि   चीड़ की पत्तियां गत्ता तैयार करने के लिए प्रयोग में आती हैं लिहाजा यदि गत्ता उद्योग लगता है तो जंगलों में चीड़ की पत्तियों को एकत्रित कर फैक्टरी में उपयोग में लाया जा सकता है, जिससे वन सुरक्षित होंगे।