बेटी के दहेज को बाप ने चुना आत्महत्या का रास्ता

कुल्लू  – संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से एक्टिव मोनाल कल्चरल एसोसिएशन कुल्लू द्वारा भाषा एवं संस्कृति विभाग कुल्लू के संयुक्त तत्त्वावधान में आयोजित किए जा रहे आठ दिवसीय नाट्योत्सव ‘कुल्लू रंग मेला’ की तीसरी संध्या में कलाकारों ने हास्य नाटक ‘आत्महत्या की दुकान’ का मंचन कर दर्शकों को लोट-पोट कर दिया। आशा वर्मा द्वारा लिखित तथा केहर सिंह ठाकुर द्वारा निर्देशित यह नाटक एक प्रहसन है। इस नाटक में स्वतांत्रयोतर युग की अनेक विसंगतियों को अत्यंत कुशलता के साथ उभारा गया है। इस नाटक की कहानी के साथ-साथ अनेक ऐसे करुण प्रसंग निकलते हैं जो हृदय को झकझोर देते हैं। इस नाटक का नायक अटपटे लाल उर्फ  एटीपी है, जिसने आत्महत्या की दुकान खोली है। आत्महत्या की दुकान में जो ग्राहक आते हैं, वे समाज और देश में व्याप्त अनेक विकृतियों के शिकार हैं। नवयुवकों का स्वप्नभंग, दहेज की समस्या, अल्पवेतन भोगी कर्मचारियों की न पूरी होने वाली छोटी-छोटी इच्छाएं आदि का विश्लेषण प्रभावी ढंग से किया गया है। एक अधेड़ पिता अपनी पुत्री की दहेज की समस्या लेकर आता है कि मेरी लड़की की शादी के लिए उसके ससुराल वाले जो दहेज मांग रहे हैं, वह मैं नहीं दे सकता। अगर मैं मर जाऊं, तो सरकार से गु्रप इंश्योरेंस के अंतर्गत 80 हजार रुपए मिलेंगे। जिस रकम से मेरी लड़की की शादी आसानी से हो जाएगी। इस लिए मेरा मरना जरूरी है। कवि नामक प्राणी आर्थिक दृष्टि से कितना अभावग्रस्त रहता है यह इस नाटक में उस समय पता चलता है जब एक कवि उस दुकान पर आत्महत्या के लिए जहर मांगने आता है। इन सब आत्महत्या के उम्मीदवारों को दुकान का मालिक अटपटे लाल उनकी समस्याओं को जानकर उन्हें जीने का नया रास्ता बताता है। इस प्रकार यह नाटक समाज में फैली निराशाजनक स्थिति से परिचय करवाता है। हास्य व्यंग्य से यह नाटक भरपूर मनोरंजन करवाता है। नाटक में केहर सिंह ठाकुर, आशा, निखिल, कविता, रेवत राम विक्की, दीन दयाल, आरती ठाकुर, श्याम, भूषण देव, जीवानंद तथा सीता आदि कलाकारों ने अपनी अपनी भूमिकाओं को बखूबी अंजाम दिया, जबकि रोशनी व्यवस्था मीनाक्षी की रही। तीसरी संध्या में विशेष अतिथियों के रूप में हाल ही बनी शरद सुंदरी युक्ति पांडे तथा मुंबई में बहुत से हिंदी सीरियलों में बतौर अभिनेता काम कर रहे बंसी भाटिया रहे।