मंत्रिमंडल को दिखानी होगी परफार्मेंस

By: Jan 14th, 2018 12:10 am

सरकार के सभी मंत्रियों को तीन महीने बाद देनी पड़ेगी रिपोर्ट, काम में लानी पड़ेगी तेजी

धर्मशाला — प्रदेश सरकार ने धर्मशाला में 13वीं विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान विधायकों के पद व गोपनीयता के शपथ के साथ परफार्मेंस दिखाने की की शपथ भी दिलाने का प्रयास किया है। मंत्रियों व विधायकों की धर्मशाला में सरकार व संगठन के लोगों के साथ कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई है, जिसमें तीन महीने में अपनी-अपनी परफार्मेंस के आधार पर रिपोर्ट तैयार करने का रोडमैप तैयार करने को कहा गया। मंत्रियों, विधायकों को पूरी शक्ति से काम करने और उनके सुझाए सभी कार्य नियमों के तहत तुरंत पूरा करने का आश्वासन तो मिला, पर साथ ही उन्हें समय का ध्यान रखने और अपना काम दिखाने का जिम्मा भी सौंप दिया है।  इसके साथ साथ उन्हें विभागों में फेरबदल और नए लोगों को जिम्मेदारी देने का डर भी दिया गया है। नए मुख्यमंत्री, मंत्रियों एवं नए विधायकों की टीम के साथ भाजपा ने नई ऊर्जा से काम करने का संकल्प भी धर्मशाला में दिला दिया है। इसके लिए सरकार व संगठन में बैठे लोगों ने बाकायदा मिलकर चलने का निर्णय लिया है। भाजपा विधायक दल की बैठक में पहुंचकर संगठन महामंत्री पवन राणा और प्रदेशाध्यक्ष सतपाल सत्ती ने पार्टी व संगठन का स्टैंड सभी चुने हुए विधायकों एवं मंत्रियों को सपष्ट कर दिया है, जिससे वे केंद्र की मोदी सरकार की तरह भ्रष्टाचार के आरोपों से बचकर और जनता व मीडिया में हल्के बयानों से दूर रहते हुए परफार्मेंस आधारित रिपोर्ट तैयार कर सकें। मौज-मस्ती के बजाय कम खर्च में ज्यादा काम करने की नसीहत के लिए बाकायदा वित्त सचिव से भी टिप्स दिलाए गए। इतना ही नहीं, विपक्ष द्वारा संघ को सियासी हथियार बनाकर सरकार को कमजोर बताने के प्रयासों को खारिज करते हुए मुख्यमंत्री ने दूसरे ही दिन नाश्ता कांगड़ा के गुप्त गंगा स्थित संघ कार्यालय पहुंचकर किया। ऐसा कर उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि विपक्ष भले ही उन्हें जो चाहे कहे, लेकिन वह अपनी नीतियों और निर्धारित एजेंडे पर ही काम करेंगे। ऐसा कर उन्होंने अपने सहयोगियों को भी स्पष्ट संदेश दे दिया है कि बिना किसी दबाव व भटकाव के सीधे रास्ते पर चलें। रमेश धवाला और बरागटा सहित सुखराम के दबाव के आगे बिना झुके नई नियुक्तियों में जल्दबाजी के बजाय गुण-दोष देखकर व सभी संगठनों से समन्वय बनाकर चलने का भी निर्णय लिया गया, जिससे संगठनों से खड़े होने वाले काम और पार्टी में भी शांता-धूमल और नड्डा से लेकर तमाम नेताओं व कार्यकर्ताओं की भावनाओं को बनाए रखा जा सके।

चलता रहा बैठकों का दौर

चार दिवसीय सत्र के दौरान जहां विधानसभा के भीतर बैठकें चलती रहीं, वहीं भाजपा नेताओं की अलग-अलग बैठकों का भी सिलसिला नहीं थमा। इसमें भविष्य के रोडमैप को लेकर कई अहम निर्णय लेने के साथ नेताओं को निर्देश दिए गए।


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