मरने के बाद भी काम कर रही किडनियां-लिवर

By: Jan 16th, 2018 12:15 am

खुद संसार को अलविदा कह कर तीन लोगों की जिंदगी संवार गया हरोली के समनाल का परमजीत

हरोली – जो किसी के काम न आ सके, वह इनसान कहलाने के लायक नहीं और जो मरने के बाद भी दूसरों की जिंदगी रोशन कर दे, वह भगवान से कम नहीं… ये पंक्तियों ऊना जिला के हरोली विस क्षेत्र के गांव समनाल के युवक परमजीत सिंह पर बिलकुल सटीक बैठती हैं। परमजीत खुद तो इस दुनिया में अब नहीं हैं, लेकिन उसकी किडनियां-लिवर तीन लोगों को जिंदगी दे गए, जबकि इसकी दोनों आंखें पीजीआई के आई बैंक में रखी गई हैं। जानकारी के अनुसार 25 वर्षीय परमजीत झलेड़ा के एक गैराज में काम करता था और  सड़क हादसे में घायल हो गया था। उसे गंभीर हालत के चलते पीजीआई चंडीगढ़ रैफर कर दिया गया, जहां चिकित्सकों ने इसके ब्रेन डेड होने की बात उसके परिजनों को बताई और इसके अंगदान के बारे में परिजनों से बात की। परमजीत के पिता सतीश कुमार, जो कि एक मिस्त्री हैं, ने ऐसी नाजुक हालत में इसके अंग डोनेट करने का फैसला लिया। उसके बाद चिकित्सकों ने जरूरतमंद दो रोगियों को इसकी एक-एक किडनी डाली और लिवर तीसरे जरूरतमंद रोगी में डाला, जिससे इन तीन मरीजों की जान बच पाई। इन तीनों मरीजों के परिजन भी परमजीत के पिता व इसके परिवार को दुआएं दे रहे हैं। परमजीत अपने पांच भाई-बहनों में सबसे छोटा और सबका दुलारा था। इसके जाने का गम परिवार के साथ-साथ पूरे गांव को भी है। पिता सतीश कुमार, जहां अपने युवा बेटे की असामयिक मौत से बुरी तरह से आहत हैं, वहीं उन्हें यह बात सकून भी प्रदान कर रही है कि उनके बेटे के अंगों के चलते तीन लोग संसार में अपना जीवन जी पाएंगे। बहरहाल परमजीत के अंगों से आज भी तीन लोग दुनिया देख पा रहे हैं।

गैराज में मैकेनिक की नौकरी

समनाल गांव का रहने वाला परमजीत सिंह झलेड़ा के एक गैराज में मैकेनिक का काम करता था। नौ जनवरी की रात को जब यह घर आ रहा था तो एक वाहन ने उसे टक्कर मार दी और वह गंभीर रूप से घायल हो गया, उसे क्षेत्रीय अस्पताल ऊना में ले जाया गया, जहां से उसे पीजीआई चंडीगढ़ के लिए रैफर कर दिया गया। पीजीआई में  11 जनवरी को चिकित्सकों ने इसे ब्रेन डेड घोषित कर दिया था।


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