‘रद्दी’ बनने लगा प्रदेश का गत्ता उद्योग

By: Jan 12th, 2018 12:10 am

यूपी की पेपर मिलों ने बढ़ाए कच्चे माल के रेट, कारखानों में कामकाज ठप

बीबीएन— पेपर मिलों की मनमानी से हिमाचल का गत्ता उद्योग उजड़ने की कगार पर हैं। हालात यह है कि कच्चे माल के दाम बढ़ने से जहां इन उद्योगों में कामकाज ठप हो गया है, वहीं हजारों कामगारों का रोजगार भी छिनने की नौबत आ गई है। कच्चे माल के दामों में लगातार हो रही बढ़ोतरी ने यहां के उद्योगों को तालाबंदी की ओर धकेल दिया है। दरअसल उत्तर भारत की पेपर मिलों ने अचानक क्राफ्ट पेपर की कीमतों में 20 फीसदी इजाफा कर दिया है जिससे गत्ता पेटी उत्पादकों के लिए उद्योग चलाना महंगा सौदा साबित हो रहा है। प्रदेश के गत्ता पेटी उत्पादकों ने अपने ग्राहकों को जो रेट दे रखे हैं, वह अब उत्पादन लागत से काफी कम रह गए हैं। पेपर मिलों ने कच्चे माल के दामों में 20 फीसदी बढ़ोतरी कर दी है जिससे गत्ते पेटी के रेट बढ़ गए हैं, लेकिन उनको खरीदने वाले वेंडर रेट बढ़ाने से इनकार कर रहे हैं।  गत्ता उद्यमियों का कहना है कि  वे लघु उद्योग की श्रेणी में आते हैं और हम जिनको पैकिंग बेचते हैं, वे रेट बढ़ाने को तैयार नहीं है। बीबीएन गत्ता उद्योग संघ के प्रधान हेमराज चौधरी, महासचिव अशोक राणा, सुशील सिंगला व प्रदेश उपाध्यक्ष सुरेंद्र जैन ने कहा कि उत्तर प्रदेश की मिलों ने इलाहाबाद कुंभ व एनजीटी का बहाना बनाकर इस महीने उत्पादन बंद रखने की बात कही है। इसी एवज में उत्तर प्रदेश व उत्तर भारत की पेपर मिल एसोसिएशन ने एक बैठक करके क्राफ्ट पेपर के रेट चार रुपए प्रति किलों की दर से बढ़ाने के फरमान जारी किए हैं। इसी कारण हिमाचल के लगाग 300 गत्ता उद्योग बंद होने की कगार पर पहुंच गए हैं। बताते चलें कि प्रदेश में 70 फीसदी गत्ता उद्योग हिमाचल के ही युवाओं ने लगाए हुए हैं और अगर ये उद्योग बंद हो गए तो हिमाचल में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रुप से रोजगार प्राप्त कर रहे हजारों लोग बेरोजगार हो जाएंगे। संघ ने मांग की हिमाचल की पेपर मिलें प्रदूषण यहां फैलाती हैं, लेकिन जब प्रदेश का साथ देने की बात आती है तो यूपी से हाथ मिला लेती हैं। उन्होंने प्रदेश सरकार व प्रदूषण बोर्ड से मांग की कि प्रदूषण फैलाने वाली समस्त मिलों की व्यावहारिक जांच की जाए।

हिमाचल में क्राफ्ट पेपर का कम उत्पादन

बीबीएन के गत्ता उद्योग संघ के प्रधान हेमराज चौधरी, महासचिव अशोक राणा व प्रांतीय उपप्रधान सुरेंद्र जैन ने कहा कि प्रदेश में हर माह 50 हजार टन क्राफ्ट पेपर की जरूरत होती है, जबकि हिमाचल की पेपर मिलें 25 हजार टन का उत्पादन करती है। यूपी की पेपर मिलों की देखादेखी में प्रदेश की मिलों ने भी पेपर के दामों में चार रुपए प्रति किलो इजाफा कर दिया है, जबकि रद्दी के रेट भी ज्यों के त्यों हैं।


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