वसंत का आना कुछ याद दिलाना

एक दिन जब मुल्ला जी किसी काम से विद्यालय छोड़कर चले गए, तो सब बच्चे खेलने लगे, पर वह पढ़ता रहा। जब अन्य बच्चों ने उसे छेड़ा, तो दुर्गा मां की सौगंध दी। मुस्लिम बालकों ने दुर्गा मां की हंसी उड़ाई। हकीकत ने कहा कि यदि मैें तुम्हारी बीबी फातिमा के बारे में कुछ कहूं, तो तुम्हें कैसा लगेगा। बस फिर क्या था, मुल्ला जी के आते ही उन शरारती छात्रों ने शिकायत कर दी कि इसने बीबी फातिमा को गाली दी है। फिर तो बात बढ़ते हुए काजी तक जा पहुंची। मुस्लिम शासन में वही निर्णय हुआ, जिसकी अपेक्षा थी। आदेश हो गया कि या तो हकीकत मुसलमान बन जाए अन्यथा उसे मृत्युदंड दिया जाएगा। हकीकत ने यह स्वीकार नहीं किया। परिणाम उसे मौत के घाट उतारने का फरमान जारी हो गया। कहते हैं उसके भोले मुख को देखकर जल्लाद के हाथ से तलवार गिर गई। हकीकत ने तलवार उसके हाथ में दी और कहा कि जब मैं बच्चा होकर अपने धर्म का पालन कर रहा हूं, तो तुम बड़े होकर अपने धर्म से क्यों विमुख हो रहे हो। इस पर जल्लाद ने दिल मजबूत कर तलवार चला दी, पर उस वीर का शीश धरती पर नहीं गिरा। वह आकाशमार्ग से सीधा स्वर्ग चला गया। यह घटना वसंत पंचमी 23-2-1734 को ही हुई थी। पाकिस्तान यद्यपि मुस्लिम देश है, पर हकीकत के आकाशगामी शीश की याद में वहां वसंत पंचमी पर पतंगें उड़ाई जाती हैं। हकीकत लाहौर का निवासी था। अतः पतंगबाजी का सर्वाधिक जोर लाहौर में रहता है।

यौवन छाया है हर ओर

मां सरस्वती पद्मासन पर,

हो रही हैं विभोर।

नील गगन में उड़ी पतंगें,

भंवरों ने भरी उन्मुक्त उड़ान।

हम भी पाएं विद्या का वर।

केसर का है तिलक लगाएं

धरती अपने भाल पे।

हंस भी देखो मोती चुगता,

करता मां की चरण वंदना।

क्यूं न पूजें हम भी लेखनी,

करती जो सहयोग बहुत।

न कह पाते होठों से

जो,कर देती सब वह अभिव्यक्त।

और पुस्तकें भी तो होतीं,

मित्र हमारी सच्ची।

ज्ञान बढ़ाती हैं और हमको,

करती हैं वो प्रेरित।