वैरीकोज वेन्स की लेजर ट्रीटमेंट नहीं

सर्जरी के माध्यम से किया जा रहा बीमारी का इलाज, प्रदेश में नहीं हाइटेक सुविधा

शिमला— हिमाचल प्रदेश अभी भी बेहतर सवास्थ्य सुविधा के लिए तरस रहा है। प्रदेश के किसी भी अस्पताल में अभी तक हाइटेक तरीके से मरीजों को इलाज नहीं मिल पा रहा है। प्रदेश के किसी भी अस्पताल में अभी तक वैरीकोज वेन्स का लेजर ट्रीटमेंट भी शुरू नहीं हो पाया है, जबकि पर्वतीय क्षेत्र होने के कारण व ठंड की वजह से वैरीकोज वेन्स की बीमारी यहां के लोगों को ज्यादा होती है। हैरानी की बात है कि अभी तक प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी में ही सर्जरी के माध्यम से इस बीमारी का इलाज किया जाता है। इसमें शरीर की नसों को चीर-फाड़ कर इलाज किया जाता है। चीर-फाड़ के जरिए किए जाने वाले इस इलाज में कई बार मरीजों के शरीर में जख्म भी पड़ जाते हैं और वे जख्म ताउम्र नहीं निकलते। आईजीएमसी के अलावा अभी तक इस बीमारी का इलाज कहीं नहीं किया जाता है। आईजीएमसी में भी लेजर ट्रीटमेंट न होेने के कारण गंभीर मरीजों को रैफर ही किया जाता है। उल्लेखनीय है कि वैरीकोज वेन्स की बीमारी में व्यक्ति की नसें फूल जाती हैं। रक्त स्त्राव होना बंद हो जाता है। रक्त एक जगह पर जमना शुरू हो जाता है, नसें फूल जाती हैं और सूजन जैसी शिकायतें सामने आने लगती हैं। विभागीय अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार आईजीएमसी मेें वैरीकोज की बीमारी के महीने में 25 से 30 मामले आ जाते हैं। कुछेक मरीज जिनका सर्जरी के माध्यम से आपरेशन होता है, कई बार उनके शरीर में ऐसे जख्म पड़ जाते हैं जिससे कि वे ताउम्र उनके शरीर में रहते हैं। इसका मेडिकल व सर्जिकल इलाज काफी महंगा होता है। आईजीएमसी के प्रिंसीपल डा. अशोक शर्मा का कहना है कि आईजीएमसी में लेजर ट्रीटमेंट से इस बीमारी का इलाज नहीं है। सर्जरी के माध्यम से इलाज चल रहा है।

प्रदेश से एम्स जाते हैं मरीज

प्रदेश में गंभीर मरीज इस बीमारी के इलाज के लिए एम्स जाते हैं। एम्स में इस बीमारी का खर्चा लगभग 90 हजार तक लोगों को पड़ता है। एम्स के चिकित्सकों की मानें, तो हिमाचल से ही एक महीने में लगभग 100 मरीज इस बीमारी का इलाज करवाने के लिए एम्स पहुंचते हैं।

क्या है बीमारी

पैर की नसों में मौजूद वैरीकोज पैरों से रक्त नीचे से ऊपर हृदय की ओर ले जाने में मदद करते हैं। इन वैरीकोज के खराब होने पर रक्त ऊपर की ओर सही तरीके से नहीं चढ़ पाता और पैरों में ही जमा होता जाता है। इससे पैरों की नसें कमजोर होकर फैलने लगती हैं या फिर मुड़ जाती हैं। इसे वैरीकोज वेन्स की समस्या कहते हैं। इससे पैरों में दर्द, सूजन बेचैनी, खुजली, भारीपन, थकान या छाले जैसी समस्याएं शुरू हो जाती हैं।