शिलान्यास के नौ साल बाद भी एक ईंट नहीं

हमीरपुर — शिलान्यास के नौ साल बाद भी हमीरपुर नए बस स्टैंड को तरस रहा है। बाइपास पर 73 कनाल भूमि चिन्हित होने के बावजूद निर्माण कार्य पर एक ईंट तक नहीं लग पाई। अब हालात ऐसे हैं कि पुराने बस अड्डा पर बसों को काउंटर तक नसीब नहीं हो पा रहे। बस अड्डा परिसर बसों के आगे बौना साबित हो रहा है। मजबूरी में कई बसें एचआरटीसी वर्कशाप के बाहर सड़क किनारे पार्क की गई हैं। वहीं लो फ्लोर बसें नए प्रस्तावित बस अड्डा की चिन्हित भूमि पर खड़ी धूल फांक रही हैं। एचआरटीसी के निर्माणाधीन बस अड्डे में आज तक एक भी ईंट नहीं लग पाई है। अड्डे की 73 कनाल भूमि विरान पड़ी है। कोई भी ठेकेदार इसके निर्माण के लिए आगे नहीं आ रहा है। निगम अड्डे के बार-बार टेंडर कर रहा है, लेकिन अड्डे का कार्य पिछले आठ वर्षों से शुरू नहीं हो पाया है। हमीरपुर बस अड्डा बसों के आगे छोटा पड़ गया है। बसों की ज्यादा संख्या होने के चलते हर दिन वाहन आपरेटरों को जाम से जूझना पड़ रहा है। सुबह व शाम के समय बसों को कंट्रोल करना यातायात पुलिस के लिए भी आफत बन गया है। इसके चलते शहर में रोजाना लंबा जाम लग रहा है। हालांकि बाइपास में नया बस अड्डा बनाने के लिए 73 कनाल भूमि चिन्हित कर ली गई है। उक्त भूमि से 600 के करीब पेड़ भी काटे जा चुके हैं, लेकिन आज तक उक्त स्थान पर निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया है। निगम तीन बार अड्डे का टेंडर कर चुका है, लेकिन कोई भी ठेकेदार इसके लिए आगे नहीं आ रहा है। चिन्हित भूमि पर लो फ्लोर बसोंं को पार्क किया गया है। सूत्रों की मानें तो बाइपास में नए बस अड्डे के निर्माण से लांग रूट की बसें पुराने बस अड्डा में नहीं आएंगी। इसके चलते अड्डे में बसों की संख्यां से भी निजात मिलनी थी। हमीरपुर के लोगों को भी एक बार फिर अड्डे निर्माण की उम्मीद जगी है। क्योंकि भाजपा सरकार में ही पूर्व मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल ने अड्डे का शिलान्यास किया था, जोकि नौ वर्षों से इससे आगे नहीं बढ़ पाया है।  एचआरटीसी के मंडलीय प्रबंधक दलजीत सिंह का कहना है कि नया बस अड्डा बाइपास में बनाया जाना प्रस्तावित है। अड्डा निर्माण के लिए तीन बार टेंडर लगाए गए हैं। एक ठेकेदार ने काम भी शुरू कर दिया था। इसने चिन्हित भूमि से 600 पेड़ काटे। इसके बाद ठेकेदार ने काम रोक दिया। अड्डा निर्माण को लेकर कार्रवाई उच्च स्तर से ही होगी।