सरकारी ओहदों पर नजर, कैबिनेट रैंक के लिए जंग

By: Jan 11th, 2018 12:10 am

अब और मंत्री नहीं बना सकती सरकार, सीपीएस -पीएस के लिए भी दबाव कायम

शिमला— सरकार में ऊंचे ओहदे हासिल करने के लिए वरिष्ठ विधायक व कुछ ही मतों के अंतर से हारे हुए प्रत्याशियों के बीच जबरदस्त जंग चली है। दरअसल, कांग्रेस राज में पांच से भी ज्यादा हारे हुए नेताओं को कैबिनेट रैंक के साथ ऊंचे ओहदे दिए गए थे और सुख-सुविधाएं अलग से। नतीजा यह हुआ कि ऐसे नेताओं में से कई चुनाव जीत कर लौटे। अब यही सब दोहराने के लिए जयराम सरकार पर भी दबाव बनाया जा रहा है। खास बात यह कि दिल्ली से भी सीपीएस व पीएस जल्द बनाने के लिए दबाव बढ़ रहा है। सरकार को सूचियां तैयार करने के लिए कहा गया है। सूत्रों के मुताबिक बोर्ड-निगमों में ओहदे सजने के साथ ही कुछ सीपीएस व पीएस भी बनाए जा सकते हैं, क्योंकि पूर्व कांग्रेस सरकार के दौरान भी इन्हें बनाया गया था। बताया जाता है कि सरकार ने सभी कानूनी पेचीदगियों का भी अध्ययन करवा लिया है। हालांकि दर्जा इनका ऊंचा होता है, मगर विभागीय कार्य में ये दखल नहीं दे पाते, पर सुविधाएं मंत्री स्तर की ही होती हैं। यही वजह रही कि पिछली सरकार में घुमारवीं से विधायक रहे राजेश धर्माणी ने इन्हीं खामियों के चलते अपने पद से इस्तीफा दे दिया था, जिसे मंजूर नहीं किया गया था। बहरहाल, वर्ष 2019 के लोकसभा चुनावों के मद्देनजर क्षेत्रीय संतुलन बिठाने के मकसद से केंद्र, राज्य व संगठन तीनों मिलकर फार्मूला तैयार करने में जुटे हैं, ताकि संसदीय चुनावों में किसी भी तरह की दिक्कत न आए। इस कड़ी में बिलासपुर, घुमारवीं, सिरमौर, सोलन, शिमला, मंडी व कांगड़ा जिलों से ऊंचे पद सजाए जाने की तैयारी है, जहां कई विधायक सीपीएस व पीएस बनाए जा सकते हैं, वहीं प्रभावी बोर्ड-निगमों में भी उन्हें शीतकालीन सत्र के बाद तैनात करने की तैयारी लगभग पूरी की जा चुकी है। सूत्रों के मुताबिक इनमें से कुछ की तैनातगी कर भी दी गई होती, मगर संगठन से जुड़े कुछ नेता उन्हें भी ऐसे ही ओहदों पर एडजस्ट करने के लिए दबाव बनवा रहे हैं।  ऐसे में अब किस-किस नेता की लॉटरी  लगेगी, यह समय ही बताएगा।

ये होंगे कैबिनेट रैंक

वित्तायोग, 20 सूत्री कार्यक्रम कमेटी, रिसोर्स मोबिलाइजेशन कमेटी के साथ-साथ कुछ और ऐसे अदारें हैं, जिनमें पिछली सरकार ने हारे हुए प्रत्याशियों को कैबिनेट रैंक देकर ऊंचे ओहदों पर बिठाया था। इनमें रामलाल ठाकुर श्रीनयनादेवी जी से और हर्षवर्द्धन चौहान शिलाई से जीत कर विधानसभा पहुंचे हैं।

इन्हें मिलेगा अधिमान

मंडी, शिमला, बिलासपुर, कांगड़ा, सिरमौर व सोलन से कई ऐसे वरिष्ठ नेता व विधायक अभी पीछे रह गए हैं, जिन्हें सरकार में महत्त्व दिया जाना जरूरी समझा जा रहा है चुनावी व राजनीतिक दोनों नजरिए से।

हमीरपुर संसदीय क्षेत्र की जरूरत

कांग्रेस हमीरपुर संसदीय क्षेत्र पर ज्यादा तवज्जो दे रही है। भाजपा ने अभी तक यहां से एक मंत्री को छोड़कर किसी को भी सरकार में एडजस्ट नहीं किया है। यह दीगर है कि राजनीतिक सलाहकार व ओएसडी रखे गए हैं, मगर अन्य ऊंचे ओहदे खाली चल रहे हैं। संसदीय क्षेत्र के कई हलकों क्षेत्रों में इस बार पार्टी की फजीहत हुई है। लिहाजा दबाव बन रहा है कि मरहम पट्टी के लिए यहां से ऊंचे ओहदे दिए जाएं।


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