सीएम ने किया गोस्पर्श कुल्लू का शुभारंभ

कुल्लू— बेसहारा पशुओं की समस्या के स्थायी समाधान के लिए कुल्लू जिला प्रशासन ने विशेष पहल की है। इसके लिए जिला में स्पर्श यानी सोसायटी फॉर प्रोटेक्शन एंड रिहेबिलिटेशन ऑफ स्टेऊ एंड हेल्पलेस एनिमल्स का गठन किया गया है और इसकी वेबसाइट भी तैयार की गई है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने 25 जनवरी को पूर्ण राज्यत्व दिवस के उपलक्ष्य पर आनी में आयोजित राज्य स्तरीय समारोह के दौरान इस वेबसाइट का विधिवत शुभारंभ किया। जिलाधीश यूनुस के विशेष प्रयासों से स्पर्श यानी सोसायटी फॉर प्रोटेक्शन एंड रीहेबिलिटेशन ऑफ स्टेउ एंड हैल्पलेस एनिमल्स के गठन की सराहना करते हुए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि हाल ही के वर्षों में जहां-तहां भटक रहे बेसहारा पशुओं की संख्या में भारी वृद्धि हुई है और ये पशु स्थानीय प्रशासन के साथ-साथ किसानों-बागबानों के लिए भी बहुत बड़ी समस्या बन चुके हैं। ये पशु बहुत ही दुर्दशा का शिकार हो रहे हैं। विशेषकर सर्दियों में इनकी हालत तो बहुत ही बदतर हो जाती है। सड़क पर भटक रहे ये पशु कई बार गंभीर दुर्घटनाओं के कारण भी बन जाते हैं। प्रदेश सरकार इस समस्या के प्रति गंभीर है और इसके स्थायी समाधान के लिए मंत्रिमंडल की उपसमिति का भी गठन किया गया है। उन्होंने कहा कि कुल्लू जिला प्रशासन ने इस दिशा में एक बहुत ही अच्छी पहल की है। मुख्यमंत्री ने उम्मीद जताई कि अन्य जिला भी इसका अनुसरण करते हुए बेसहारा पशुओं के लिए ठोस कदम उठाएंगे। जिलाधीश यूनुस ने बताया कि बेसहारा पशुओं की सूचना देने और उन्हें तत्काल निकटवर्ती गोसदनों में पहुंचाने के लिए जिला स्तर पर हेल्पलाइन नंबर जारी किए गए हैं, जोकि 01902-222553 और 70180-64013 हैं। जिला में उपमंडल स्तर पर विभिन्न विभागों व स्थानीय लोगों की टीमें बनाई जाएंगी, जो कि सूचना मिलते ही बेसहारा पशुओं को गोसदनों तक पहुंचाने की व्यवस्था करेगी। जिला स्तर पर उपायुक्त की अध्यक्षता में गठित विशेष टीम हर माह बेसहारा पशुओं के लिए उठाए गए कदमों की समीक्षा करेगी। हर विकास खंड में कम से कम दो-दो गोसदनों के निर्माण के अलावा जिला स्तर पर मास्टर गोसदन का निर्माण किया जाएगा। सड़कों पर रात के समय दुर्घटनाओं को रोकने के लिए बेसहारा पशुओं के गले में फ्लोरसेंट युक्त कॉलर डाले जाएंगे। गोसदनों के माध्यम से कुछ आय प्राप्त करने के लिए इनमें जैविक खाद संयंत्र लगाए जाएंगे। सभी गोसदनों को गोवंश संवर्द्धन बोर्ड से पंजीकृत करवाया जाएगा। जिला में सभी पालतु पशु की पहचान के लिए इनमें माइक्रो चिप लगाने  की विस्तृत व प्रभावी योजना बनाई जाएगी।