राख के ढेर पर चल रहे बीबीएन में करोड़ों-अरबों के कारखाने
ये जरूरी शर्तें
अग्निशमन विभाग ने उद्योगों को एनओसी देने से पूर्व सुरक्षा इंतजामों के लिहाज से कुछ शर्तें रखी हैं, जिसके तहत फायर हाइडें्रट, एमर्जेंसी एग्जिट, फायर अलार्म, 500 स्कवेयर मीटर से ज्यादा के प्लॉट पर बसे उद्योगों में एक लाख लीटर क्षमता का वाटर टैंक, फोम मानिटर, उद्योगों के चारों तरफ पर्याप्त जगह की व्यवस्था शामिल हैं। उद्योग में वाटर स्टोर टैंक और प्रोजेक्ट स्थल तक सड़क निर्माण के अलावा सेट बैक, आपात स्थिति से निपटने की तैयारी और प्राथमिक चिकित्सा इंतजाम भी जरूरी हैं। अधिकारी बताते हैं कि वे एनओसी देते हैं, तो उससे पहले यह सुनिश्चित करते हैं कि आगजनी से बचाव के लिहाज से पूरे इंतजाम हैं या नहीं।
बड़े हादसों में 17 ने गंवाई जान
* 2009 में नालागढ़ के पास डाडीकानियां में एसी निर्माण उद्योग में हुए भीषण अग्निकांड में जहां राख हो गया था पूरा उद्योग, वहीं नौ कर्मचारियों को जान से धोना पड़ा था हाथ
* 1996 में साई रोड बद्दी में एक फार्मा उद्योग में हुए भीषण अग्निकांड में जिंदा जले थे आठ इंजीनियर
* 2017 में बरोटीवाला के टायर उद्योग में अग्निकांड से हुआ था करीब 40 करोड़ का नुकसान
फिर बेकाबू हो जाते हैं हालात
अग्निशमन अधिकारी नालागढ़ हितेंद्र कंवर ने बताया कि क्षेत्र के उद्योग आगजनी जैसी घटनाओं से बचने के लिए सुरक्षा इंतजामों को लेकर संजीदा नहीं हैं। अकसर देखने में आया है उद्योगों में सेट बैक प्रॉपर नहीं छोड़ा जाता, न ही फायर हाइड्रेंट, फायर अलार्म लगाए जाते हैं। पानी तक का भी भंडारण नहीं होता, ऐसे में आग लग जाए, तो त्वरित कार्रवाई करने के लिए कुछ साधन उद्योगपति के पास नहीं होते और हालात बेकाबू हो जाते हैं। अग्निशमन विभाग बद्दी के अधिकारी प्रकाश चंद ने बताया कि जिन उद्योगों के पास एनओसी नहीं है, उन्हें लिखित रूप से अवगत करवाया जा रहा है।