भूलभुलैया : लखनऊ के दर्शनीय स्थल में बड़ा इमामबाड़ा वास्तुकला का अद्भुत नमूना है। विश्व भर में प्रसिद्ध इस इमारत का निर्माण नवाब आसिफुददौला ने सन् 1784 में करवाया था। यह इमारत बाहर से एक किले की भांति दिखाई पड़ती है। इस इमारत में एक विशाल कमरा है, जिसकी लंबाई 49.4 मीटर, चौड़ाई 16.2 मीटर तथा ऊचाईं 15 मीटर है। इस कमरे की खास बात यह है कि इस कमरे के एक कोने में की गई हल्की ध्वनि भी दूसरे कोने मे साफ सुनाई देती है। बड़े इमामबाड़े के ऊपरी भाग में भुलभुलैया बनी है। इस भूलभुलैया के 409 गलियारे हैं, जो दरवाजे रहित हैं। इस का निर्माण सुरक्षा की दृष्टि से करवाया गया था इस भुलभुलैया की खास बात यह है कि यहां आने वाला शख्स लाख कोशिश करे फिर भी जिस गलियारे से प्रवेश करता है, उसी गलियारे से बाहर नही निकल पाता है।
लखनऊ के सुंदर दृश्य
छोटा इमामबाड़ा : इसे हुसैनाबाद का इमामबाड़ा के नाम से भी जाना जाता है। इस भव्य इमारत का निर्माण अवध के तीसरे नवाब मोहम्मद अलीशाह ने सन् 1840 में करवाया था। आंतरिक व बाहरी सज्जा की दृष्टि से यह इमारत कला का बेहतरीन नमूना है। यहां पर मोहम्मद अलीशाह और उनकी वालिदा की कब्रे हैं। इस इमारत में सबसे महत्त्वपूर्ण व दर्शनीय यहां बना शाही हमाम है, जो अपने आप में कौतूहल का विषय है। इस शाही हमाम में गोमती नदी से पानी आता है। यह पानी इस हमाम में बनी दो हौजों में जाता है, जिसमें एक हौज में जाकर यह पानी ठंडा हो जाता है।
रूमी दरवाजा : लखनऊ के दर्शनीय स्थल में रूमी दरवाजे का महत्त्वपूर्ण स्थान है। यह रूमी दरवाजा बड़े इमामबाड़े के ही पास स्थित है। रूमी दरवाजे का भी निर्माण नवाब आसिफुददौला ने ही करवाया था। यह दरवाजा मुगल स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना है। रूमी दरवाजे की ऊंचाई 60 फुट के लगभग है। इस दरवाजे की खास बात यह कि इसके निर्माण में कही भी लकड़ी व लोहे का इस्तेमाल नहीं किया गया है।
घड़ी मीनार (घंटाघर) : लखनऊ के दर्शनीय स्थल मे क्लॉक टावर भी जाना जाता है। इसका निर्माण सन् 1818 में करवाया गया था। लखनऊ के क्लॉक टावर की ऊंचाई 221फुट है तथा इसका पेंडुलम 14 फुट लंबा है। जिसके चारों ओर घडि़यां लगी हैं।
लखनऊ पिक्चर गैलरी : यह गैलरी छोटे इमामबाड़े के सामने स्थित है। इस गैलरी में अवध के ऐतिहासिक गौरव व नवाबों से संबंधित चीजे संग्रहीत करके रखी गई हैं। इसका निर्माण मोहम्मद शाह ने करवाया था।
हाथी पार्क : लखनऊ के दर्शनीय स्थल में हाथी पार्क पर्यटकों की सबसे सुंदर जगह में से एक है। यहां हाथी पार्क में एक हंसी का फुव्वारा बना हुआ है। हंसी के फुव्वारे से मतलब है कि यहां कुछ ऐसे आईने रखे हुए हैं कि जिनमें आपको अपनी ही शक्ल टेढ़ी-मेढ़ी दिखाई देती है।
टिकैतराय तालाब पार्क : लखनऊ को बागों का शहर भी कहा जाता है। इस शहर में खुबसूरत बागों की कमी नहीं है। टिकैतराय तालाब पार्क में संगीतमय फव्वारे का आनंद उठाया जा सकता है। इसमें संगीत के सभी स्वर सुनाई देते हैं।
दीनदयाल पार्क : यह पार्क चारबाग रेलवे स्टेशन से मुश्किल से आधा किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां पर भी एक संगीतमय फव्वारा है, जो शाम के समय अपनी अलग ही छटा बिखेरता है।
चिडि़याघर : लखनऊ के दर्शनीय स्थल की यात्रा के दौरान अगर लखनऊ का चिडि़याघर न देखा जाए तो यात्रा अधूरी सी लगती है। चिडि़याघर चारबाग रेलवे स्टेशन से मात्र चार किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। बच्चों के लिए यहां ट्वाय ट्रेन की सवारी उनकी खुशी को दोगुना कर देती है। इसके साथ यहां अनेक प्रकार के जानवर भी देखने को मिलते हैं। बोटेनिकल गार्डन : यह एक प्राचीन वनस्पति उद्यान है। यहां पर आप पेड़ पौधों की विभिन्न किस्मों के साथ गुलाब के फूलों की विभिन्न प्रकार की किस्में देख सकते हैं।