निर्देशक : रेमी कोहली
कलाकार : दीपक डोबरियाल,रायमा सेन,परवीन डबास, जमील खान, अनुराग अरोड़ा, गुलशन देवैया
दिव्य हिमाचल : रेटिंग **/5
रेमी की सोच काबिलेतारिफ है। अच्छा सब्जेक्ट चुना है पर उस पर थोड़ा फोकस किया जाता, तो फिल्म शुरू होने के चंद मिनटों बाद ही अपने ट्रैक से यूं ही न भटक जाती। यहां यह भी अजीब सा है कि फिल्म का टाइटल कुलदीप पटवाल है, लेकिन डायरेक्टर ने इस किरदार को पॉवरफुल बनाने पर कतई ध्यान नहीं दिया। वैसे भी अगर दीपक डोबरियाल जैसा उम्दा लाजवाब कलाकार इस किरदार में हो तो किरदार पर ज्यादा वर्क करना बनता है। वहीं कहानी में बार-बार फ्लैश बैक का आना खटकता है तो फिल्म का क्लाइमेक्स भी दर्शकों की कसौटी पर खरा उतरने का दम नहीं रखता। अगर हम एक्टिंग की बात करें तो दीपक इस बार फिर बाजी मार गए। कुलदीप के कमजोर किरदार में दीपक ने अपने शानदार अभिनय के दम पर जान डालने की कोशिश की है, तो वहीं गुलशन देवैया जब भी स्क्रीन पर नजर आते हैं वहीं फिल्म दर्शकों को अपनी और खींचती है। पंजाबी में जब गुलशन बात करते हैं तो बस मजा आ जाता है। रायमा सेन अपने किरदार में बस ठीक ठाक रहीं तो जमील खान अपने रोल में परफेक्ट रहे। यह अच्छा ही है कि डायरेक्टर रेमी ने फिल्म में कोई गाना नहीं रखा है वर्ना पहले से स्लो स्पीड से आगे खिसकती यह फिल्म दर्शकों के सब्र का इम्तिहान लेती नजर आती। कुलदीप पटवाल यकीनन ऐसे सब्जेक्ट पर बनी फिल्म है जिससे नामी मेकर भागते हैं, बतौर डायरेक्टर रेमी कुछ हद तक जरूर कामयाब रहे हैं। सीमित बजट में बनी इस फिल्म को पहले से थियेटरों में जमी पद्मावत के चलते बेहद कम दर्शक मिले हैं, ऐसे में मल्टीप्लेक्स थियेटरों में इक्का-दुक्का शोज में चल रही यह फिल्म अगर अपनी प्रोडक्शन कॉस्ट वसूल करने में कामयाब रहती है तो यह रेमी की उपलिब्ध होगी ।