कांग्रेस कार्यकाल में जिस अफसर के लिए भाजपा ने किया था हल्ला, सत्ता में आने पर उसी का तबादला
फिर जुबां पर आया संजीव गांधी का नाम
एसपी गौरव सिंह के तबादले के बाद जहां बीबीएन की गली-चौराहों में चर्चाएं खूब गर्म हैं, वहीं सोशल मीडिया पर भी सरकार के इस फैसले को लेकर जनता ने कडे़े कमेंट दिए हैं। लोगों का मानना है कि मौजूदा सरकार दूरदर्शिता न दिखाकर शायद किसी प्रभाव में योग्य अधिकारियों को जनसेवा से दूर कर रही है। इसी कड़ी में लोग ऊना के पूर्व एसपी संजीव गांधी का जिक्र भी करते दिखे, जो कांगड़ा और ऊना में माफिया की नाक में दम किए बैठे थे, पर उनकी सख्ती सरकार को रास नहीं आई।
सरकार के फैसले से माफिया की मुराद पूरी
आम जनता और उद्योगपति गौरव सिंह की बतौर एसपी तैनाती को मौजूदा सरकार की माफिया व अपराधमुक्त बीबीएन की इच्छाशक्ति से जोड़कर देख रहे थे, लेकिन सरकार के एक फैसले ने जैसे सारे भ्रम ही दूर कर दिए। सिर्फ बुद्धिजीवी ही नहीं, बल्कि आम लोगों का भी मानना है कि सरकार को इस तबादले से क्या सुधार होता दिखा वह तो समझ से परे है, लेकिन इसमें कोई दोराय नहीं कि महीने भर से मांद में दुबके बैठे माफिया के मन की मुराद जरूर पूरी हो गई है।
आत्मदाह की चेतावनी
समाजसेवी बबलू पंडित ने कहा कि अपने पिता की मौत से वह इतना दुखी नहीं हुए, जितना वह ईमानदार अफसर के तबादले पर सरकार के निर्णय से हुए हैं। बीबीएन में नशा माफिया का अंत होने जा रहा था और युवा पीढ़ी को चिट्टे जैसे घातक नशे से बचाने के लिए एक युवा अफसर ने अपनी नींद तक त्याग दी थी। ऐसे में सरकार द्वारा आईपीएस गौरव सिंह के तबादले का निर्णय जनता की भावनाओं पर तमाचा है। बबलू पंडित ने कहा कि अगर सरकार ने तबादले का निर्णय वापस नहीं लिया तो वह शनिवार को आत्मदाह कर लेंगे।
सख्ती के लिए मशहूर गौरव सिंह
गौरव सिंह 2013 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। 28 वर्षीय गौरव की पहली पोस्टिंग शिमला में बतौर एएसपी थी। इसके बाद वह एएसपी बद्दी बने। उस दौरान करीब छह माह के कार्यकाल में उन्होंने ड्रग्स, शराब और खनन माफिया की कमर तोड़ दी थी। उन्होंने विधायक की पत्नी के टिप्पर का भी चालान कर दिया था, जिसके बाद इनका तबादला कांग्रेस सरकार ने कांगड़ा कर दिया था। तब भाजपा व जनता ने इनके तबादले का विरोध किया था। इसके बाद वह एसपी लाहुल-स्पीति बने। वह सख्त कार्रवाई के लिए जाने जाते हैं और अब तक पुलिस और होमगार्ड के 26 जवानों पर कार्रवाई कर चुके हैं। उन्होंने सेना के अफसर से रिश्वत लेने पर लाहुल-स्पीति में 18 पुलिस कर्मियों को सस्पेंड कर दिया था।
क्यों उपजी अव्यवस्था
चर्चा है कि मुख्यमंत्री के दौरे के दौरान कई बार रूट बदला गया। अधिकारियों के बार-बार रूट बदलने के बावजूद ऐसी अव्यवस्था की संभावना कैसे उपजी, यह बात लोगों के गले नहीं उतर पाई है।
नेताओं का हाथ तो नहीं
लोग ऐसे फैसलों के पीछे स्थानीय नेताओं की पसंद नापसंद को वजह मान रहे हैं। सरकार का टै्रफिक अव्यवस्था का बहाना भी लोगों के गले नहीं उतर रहा है। लोगों का कहना है कि एक माह के भीतर ईमानदार व कर्मठ अफसर का तबादला समझ से परे है। नशा माफिया, शराब माफिया, चिट्टा माफिया, खनन माफिया के दबाब में आकर सरकार ने एसपी गौरव सिंह का तबादला कर दिया।