कर्नाटक भी खाएगा हिमाचल की मछली!

मत्स्य विभाग ने प्रदेश से रेनबो ट्राउट की डायरेक्ट मार्केटिंग के लिए बनाई योजना

बिलासपुर— हिमाचल में अब ट्राउट फिश मार्केटिंग की समस्या नहीं रहेगी। मत्स्य विभाग ने प्रदेश में सरकारी और निजी क्षेत्र में पैदा होने वाली 400 मीट्रिक टन से ज्यादा ट्राउट मछली की मार्केटिंग को लेकर प्रयास शुरू कर दिए हैं। हिमाचल की रेनबो ट्राउट को निर्धारित किए गए रेट पर कर्नाटक राज्य में डायरेक्ट मार्केटिंग करने की योजना है। उम्मीद है कि जल्द ही विभाग की ओर से इस बाबत अंतिम निर्णय लिया जाएगा। गोवा (पणजी) में रिव्यू मीटिंग से लौटने के बाद मत्स्य निदेशक सतपाल मेहता ने यह खुलासा किया है। उन्होंने बताया कि गोवा में रिव्यू मीटिंग में नॉर्थ व बेस्टर्न जोन के विभागीय अधिकारियों ने भाग लिया। इस समीक्षा बैठक में मत्स्य क्षेत्र में अब तक रही अचीवमेंट्स के साथ साथ नई बैराइटीज के उत्पादन को लेकर भी मंथन किया गया है। इसके अलावा गोवा में आयोजित 21वें इंडिया इंटरनेशनल सी फूड शो में राज्यों की ओर से बाकायदा मत्स्य उत्पाद प्रदर्शनियां भी लगाई गई थीं। इस दौरान कर्नाटक की फर्मों के साथ टाईअप किया गया। वहां की नामी फर्में ट्राउट की डायरेक्ट मार्केटिंग के लिए तैयार हैं। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में सरकारी क्षेत्र में शिमला के धमवाड़ी, चंबा के होली, कुल्लू के पतलीकूहल और मंडी के बरोट इत्यादि जगहों पर ट्राउट मछली के उत्पादन के लिए फार्म स्थापित किए गए हैं। हर सीजन में प्रदेश भर में 400 मीट्रिक टन से ज्यादा रेनबो ट्राउट का उत्पादन हो रहा है। इसके अलावा प्रदेश में निजी क्षेत्र में 600 से ज्यादा ट्राउट इकाइयां कार्यरत हैं। मत्स्य उत्पादक अपने हिसाब से रेट तय कर ट्राउट की बिक्री करते हैं, लेकिन सरकारी क्षेत्र में पैदा हो रही मछली का एक फिक्स रेट है। हालांकि पहले यह रेट 350 रुपए निर्धारित था, विभाग ने पिछले साल इसमें इजाफा कर दिया है और अब इसका रेट 500 रुपए तय किया गया है।

निजी क्षेत्र में लगेंगी 144 नई इकाइयां

प्रदेश में अब ठंडे इलाकों में पैदा होने वाली ट्राउट मछली पर फोकस किया जा रहा है। नीली क्रांति योजना के तहत निजी क्षेत्र में 144 ट्राउट इकाइयां स्थापित की जाएंगी, जिसके लिए एक प्रस्ताव मंजूरी के लिए केंद्र सरकार को भेजा गया है। मंजूरी मिलने के बाद ट्राउट इकाइयों की स्थापना के लिए कवायद शुरू की जाएगी। ट्राउट इकाइयां स्थापित करने के लिए लाभार्थियों के लिए बाकायदा सबसिडी का भी प्रावधान है।