कर्मचारी महासंघ की सरदारी के लिए जंग

महासंघ की तदर्थ कमेटी के अध्यक्ष विनोद कुमार ने ग्रुप में बंटे नेताओं पर छोड़े तीर

बिलासपुर— हिमाचल अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ की सरदारी को लेकर जंग छिड़ गई है। इसी कड़ी में अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ तदर्थ कमेटी के अध्यक्ष विनोद कुमार ने शनिवार को बिलासपुर के सर्किट हाउस में आयोजित प्रेस कान्फ्रेंस में ग्रुपों में विभाजित नेताओं पर कई शब्दबाण छोड़े। साथ ही यह भी कहा कि तीन माह तक जिलावार कर्मचारियों के साथ बैठकें कर न केवल उन्हें स्वार्थी नेताओं की कारगुजारियों के बारे में अवगत करवाया जा रहा है, बल्कि कर्मचारियों एक मंच तले लाकर महासंघ की कमान इमानदार हाथों में सौंपी जाएगी। महासंघ के संविधान के तहत ही इसका पुनर्गठन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश के अढ़ाई से तीन लाख कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले महासंघ में कुछ स्वार्थी लोगों ने सरकार की मान्यता का गलत फायदा उठाया और ऐसी परिस्थितियां पैदा कर दीं कि महासंघ में कई ग्रुप खड़े हो गए। कुछ नेताआें ने तो राजनीतिक संबंधों की बदौलत कर्मचारियों को उत्पीड़न किया और महासंघ को पंगू बनाकर रख दिया। अब प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद इन ग्रुपों ने कर्मचारियों को डराना-धमकाना शुरू कर दिया है। आज महासंघ की बात सुनने के लिए कोई तैयार ही नहीं है इसके लिए कर्मचारी नेता ही जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा कि 11 फरवरी को बिलासपुर के एनजीओ भवन में आयोजित राज्य स्तरीय मीटिंग में डेढ़ सौ कर्मियों ने फैसला लिया है कि महासंघ को अवैध कब्जे से छुड़ाया जाए और ग्रुपों में विभाजित नेताओं द्वारा कर्मचारियों से की जा रही कलेक्शन भी तत्काल प्रभाव से बंद हो। सभी कर्मचारियों को महासंघ के एक प्लेटफार्म पर एकत्रित कर लोकतांत्रिक प्रक्रिया को अपनाते हुए नेता चुना जाए। विनोद कुमार का कहना है कि मुख्यमंत्री से आग्रह किया गया है कि सचिवालय के अंदर महासंघ दफ्तर की चाबी तब तक किसी को भी न दी जाए जब तक महासंघ का विधिवत गठन नहीं हो जाता। इसके अलावा यदि कोई कर्मचारी नेता अपनी मनमर्जी करेंगे और कर्मचारियों को डरा धमका कर चंदा इकट्ठा करेंगे तो इसकी शिकायत सरकार से की जाएगी।  इस मौके पर अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के जिला संयोजक रणवीर ठाकुर, वरिष्ठ कर्मचारी नेता लेखराम कौंडल, घुमारवीं इकाई के प्रधान जगदेव चौहान, अमरनाथ, सुखदेव और राजेंद्र गौतम इत्यादि मौजूद रहे।